
Congress’s Strategy in Delhi Assembly Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी हर कदम फूंक-फूंक कर बढ़ रही है, और अब स्वास्थ्य लाभ के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी चुनावी दंगल में कूद पड़े हैं। उन्होंने पटपड़गंज में रैली की और कांग्रेस उम्मीदवार के लिए वोट मांगा, इस दौरान वो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ खुलकर बोले।
राहुल गांधी का प्रचार अभियान और केजरीवाल पर हमला
राहुल गांधी ने दिल्ली में कांग्रेस का प्रचार फिर से शुरू कर दिया, लेकिन केजरीवाल और इंडिया गठबंधन में दरार ने उनके अभियान को सियासी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने नई दिल्ली में संदीप दीक्षित के साथ वाल्मीकि मंदिर में पूजा अर्चना की, लेकिन यहां भी केजरीवाल पर कोई सियासी बयानबाजी नहीं की। बाद में जब राहुल ने पूर्व दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी के समर्थन में रैली की, तो उन्होंने पहली बार सीधे केजरीवाल को घेरा, विशेष रूप से शीशमहल और शराब घोटाले को लेकर।
कांग्रेस की रणनीति: दलित-मुस्लिम वोट बैंक पर फोकस
राहुल गांधी के प्रचार कार्यक्रमों का रुख मुस्लिम बहुल इलाकों की तरफ है, जैसे ओखला, मटिया महल और चांदनी चौक। यह दर्शाता है कि राहुल की प्राथमिक रणनीति दलित और मुस्लिम वोट बैंक को वापस अपने साथ लाने की है।
कांग्रेस की दुविधा: जीतने पर बैकफुट या हारने पर आरोप
कांग्रेस के सामने बड़ी समस्या यह है कि अगर केजरीवाल जीतते हैं तो कांग्रेस बैकफुट पर जाएगी, और अगर बीजेपी जीतती है तो इंडिया गठबंधन और सेकुलर सिद्धांत पर सवाल उठेंगे। इस बीच, अखिलेश यादव और केजरीवाल मिलकर रिठाला में रोड शो करने वाले हैं, और टीएमसी ने शत्रुघ्न सिन्हा को केजरीवाल के पक्ष में उतारने का ऐलान भी किया है। कांग्रेस के पास इस स्थिति से बाहर निकलने का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं दिखता।
संविधान और बाबा साहेब के मुद्दे पर एकजुट करने की कोशिश
कांग्रेस अब संसद के आगामी सत्र को देखते हुए संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर के मुद्दे को लेकर विपक्ष को एकजुट करने की योजना बना रही है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वे आगामी सत्र में अमित शाह द्वारा बाबा साहेब के अपमान के मुद्दे को उठाएंगे और माफी की मांग करेंगे।
कांग्रेस का चुनावी कदम: राजनीति से ज्यादा विचारधारा पर ध्यान
कुल मिलाकर, दिल्ली में कांग्रेस सावधानी से अपने चुनावी कदम बढ़ा रही है। इसके लिए वह न केवल अपने पारंपरिक वोट बैंक पर ध्यान दे रही है, बल्कि इंडिया गठबंधन की राजनीति में भी भविष्य की संभावनाओं को देख रही है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस में ‘शाखा का डंडा’ नहीं चलता और इंडिया गठबंधन का दल किसी भी उम्मीदवार का प्रचार कर सकता है, इसलिए राहुल गांधी के वाल्मीकि मंदिर जाने पर सियासत नहीं होनी चाहिए।