
Bhopal Lokayukta police raids the house of former constable of Transport Department Saurabh: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकायुक्त पुलिस की छापामार कार्रवाई ने हड़कंप मचा दिया है। यह कार्रवाई पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा के घर और अन्य ठिकानों पर की गई, जिसमें भारी मात्रा में नकदी, सोना-चांदी और संपत्तियों के दस्तावेज मिले। छापे में टीम को 2.85 करोड़ रुपये नकद, 60 किलो चांदी, 50 लाख रुपये के सोने-हीरे के गहने, 4 एसयूवी गाड़ियां, कई प्रॉपर्टी के दस्तावेज और नोट गिनने की 7 मशीनें मिली हैं।
कहां और कैसे हुई छापामारी?
लोकायुक्त पुलिस ने गुरुवार सुबह भोपाल की ई-7 अरेरा कॉलोनी स्थित सौरभ शर्मा के घर और उनके दफ्तर पर छापा मारा। सौरभ शर्मा परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक हैं, जिन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत के आधार पर जांच के दायरे में लाया गया था।
छापे में बरामद संपत्ति
- नकदी:
- घर की अलमारियों से 1.15 करोड़ रुपये नकद।
- दफ्तर से 1.70 करोड़ रुपये नकद।
- एक वैन में छुपा 82 लाख रुपये नकद।
- सोना-चांदी:
- 50 लाख रुपये के सोने और हीरे के गहने।
- 60 किलो चांदी की सिल्लियां।
- अन्य वस्तुएं:
- 4 लग्जरी गाड़ियां।
- नोट गिनने की 7 मशीनें।
- कई प्रॉपर्टी के दस्तावेज।
परिवार और संपत्ति का संदिग्ध इतिहास
सौरभ शर्मा के पिता, आरके शर्मा, सरकारी डॉक्टर थे। उनके निधन के बाद 2015 में सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली। मात्र सात साल की नौकरी के बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया और कंस्ट्रक्शन के काम में लग गए।
छापे के दौरान घर पर केवल उनकी मां, पत्नी और बच्चे मौजूद थे। उनकी मां ने बताया कि सौरभ स्कूल की फ्रेंचाइजी के सिलसिले में मुंबई गए हुए हैं।
हवाला और रसूखदारों से संपर्क की जांच
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि सौरभ कई रसूखदार व्यक्तियों के संपर्क में थे। इन्हीं संपर्कों के चलते उन्होंने परिवहन विभाग से जल्दी वीआरएस ले लिया था। टीम इस मामले में हवाला एंगल की भी जांच कर रही है।
प्रश्नचिन्ह और अगली कार्रवाई
सौरभ शर्मा के पास इतनी बड़ी मात्रा में नकदी, सोना-चांदी और संपत्ति कैसे आई, यह एक बड़ा सवाल है। लोकायुक्त पुलिस और आयकर विभाग अब उनके द्वारा खरीदी गई प्रॉपर्टियों की जांच कर रहे हैं। इस छापामार कार्रवाई ने विभागीय भ्रष्टाचार और रसूखदारों से जुड़े संदिग्ध लेन-देन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
निष्कर्ष
लोकायुक्त पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल भ्रष्टाचार पर एक बार फिर से प्रकाश डाला है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे कुछ सरकारी अधिकारी नियमों का दुरुपयोग करके अकूत संपत्ति अर्जित कर लेते हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और कितने और नाम इस भ्रष्टाचार के जाल में सामने आते हैं।