
Bumper Majority to BJP: महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में बंपर जीत दर्ज की, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को इन राज्यों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी। मैटराइज के सर्वे में इस अंतर की वजहों पर रोशनी डाली गई है।
लोकसभा में कमजोर प्रदर्शन, विधानसभा में रिकॉर्ड जीत
2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से एनडीए को सिर्फ 17 सीटें मिलीं, जबकि हरियाणा की 10 सीटों में से 5 पर ही जीत हासिल हुई। इसके विपरीत, विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा की 90 सीटों में से 48 और महाराष्ट्र की 288 सीटों में से महायुति गठबंधन के तहत 235 सीटें जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया।
सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे
सर्वे में सामने आया कि लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने “संविधान बदलने” का नैरेटिव गढ़ा था, जिसने जनता के बीच भ्रम पैदा किया। हालांकि, विधानसभा चुनाव में यह नैरेटिव पूरी तरह फेल हो गया। पीएम मोदी की लोकप्रियता और विपक्ष के प्रति जनता के अविश्वास ने बीजेपी के पक्ष में बड़ी जीत का मार्ग प्रशस्त किया।
हरियाणा में किसान, जवान, पहलवान का मुद्दा फेल
हरियाणा में कांग्रेस द्वारा उठाए गए किसान, जवान और पहलवान के मुद्दे जनता को प्रभावित नहीं कर सके। सर्वे में 42% लोगों ने माना कि इन मुद्दों का चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ा। वहीं, 52% ने कहा कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष को वोट देना उनकी गलती थी, जिसे उन्होंने विधानसभा चुनाव में सुधार लिया।
महाराष्ट्र में महायुति के काम से जनता संतुष्ट
महाराष्ट्र में महायुति सरकार के काम से जनता संतुष्ट नजर आई। 41% मतदाताओं ने बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की लोकप्रियता ने बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई। वहीं, “एक हैं तो सेफ हैं” और “बटेंगे तो कटेंगे” जैसे नारों ने भी मतदाताओं को बीजेपी से जोड़ने में मदद की।
पीएम मोदी की लोकप्रियता निर्णायक
सर्वे में 53% लोगों ने माना कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के चेहरे को ध्यान में रखकर वोटिंग की। 55% ने कहा कि पीएम मोदी की बढ़ती लोकप्रियता ने महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी की जीत को सुनिश्चित किया।
भविष्य की रणनीति के लिए संकेत
सर्वे से यह स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जनता से कुछ असंतोष का सामना करना पड़ा, लेकिन विधानसभा चुनाव में वह इसे सुधारने में कामयाब रही। पीएम मोदी की लोकप्रियता और विपक्ष की कमजोर रणनीति ने बीजेपी के लिए जीत का रास्ता तैयार किया।