
मैहर: मैहर देवीजी समिति में पिछले 22 वर्षों से राजनैतिक रसूख के बल पर समिति के खजाने को लूटने वाले अवैध इंजीनियर शीलेंद्र बहादुर सिंह के सामने अब एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। देवीजी समिति में वर्तमान अधीक्षक जनवरी 2025 में रिटायर होने जा रहे हैं, और इस पद पर किसी नए व्यक्ति को नियुक्त करना अब एक बड़ा प्रश्न बन गया है।
शीलेंद्र बहादुर सिंह, जो अपने अवैध कृत्यों के लिए कुख्यात हैं, जानते हैं कि बिना अधीक्षक के सहयोग के वे अपनी गतिविधियों को अंजाम नहीं दे सकते। पिछले वर्षों में, अधीक्षक के साथ साठगांठ करके, उन्होंने न केवल समिति की व्यवस्थाओं में अनियमितताओं को जन्म दिया, बल्कि कई प्रशासनिक अधिकारियों को भी अपने जाल में फंसा दिया।
राजनैतिक दबाव और अवैध गतिविधियां
शीलेंद्र बहादुर सिंह का राजनैतिक प्रभाव इतना मजबूत है कि उनके खिलाफ दर्ज शिकायतें और अनियमितताओं के मामले दबा दिए जाते हैं। इनकी कार्यप्रणाली में अदालतों और शासन के आदेशों से ज्यादा नेताओं के निर्देशों का पालन किया जाता है।
अधीक्षक पद की तलाश और विवाद
समिति के अधीक्षक का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, शीलेंद्र बहादुर सिंह को ऐसा सहयोगी चाहिए जो उनकी अवैध गतिविधियों में उनका समर्थन कर सके। लेकिन समिति के निकाय में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं बचा है, जिसे उन्होंने विवादित न किया हो। उनकी पुरानी गतिविधियां अब उनके खिलाफ बाधा बन रही हैं।
पिछले विवाद और अनियमितताएं
शीलेंद्र ने अधीक्षक के सहयोग से फाइलों में हेराफेरी करते हुए अदालत और कार्यालय रिकॉर्ड में गड़बड़ियां कीं। उदाहरण के तौर पर, एक मामले में उन्होंने 12 वर्षों तक तथ्यों को छिपाकर उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त किया और इसी आधार पर अवैध व्यक्तियों को संरक्षण दिया।
इसके अलावा, उन्होंने प्रशासकों को गुमराह कर मंदिर के वेतनमान को नियमों के खिलाफ बढ़वाया, जबकि अन्य कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन पर रखा गया।
वर्तमान प्रशासक के साथ साठगांठ
शीलेंद्र ने वर्तमान प्रशासक विकास सिंह के साथ मिलकर अवैधानिक लोगों को संरक्षण देने के लिए फाइलों और रिकॉर्ड में व्यापक हेरफेर की। विकास सिंह ने भी कदाचारपूर्ण कार्यों में उनका साथ दिया और लोकसेवा से जुड़े नियमों की अवहेलना की।
क्या अधीक्षक पद पर मिलेगी नई चुनौती?
वर्तमान में, अधीक्षक पद के लिए नए उम्मीदवारों की तलाश जोरों पर है। लेकिन अभी तक ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला है, जो शीलेंद्र के लिए पूरी तरह उपयुक्त हो। नंद किशोर पटेल जैसे योग्य अधीक्षक की तलाश अभी जारी है। अब देखना यह है कि यह तलाश कहां जाकर खत्म होती है।