
मैहर:माँ शारदा देवी मंदिर, मैहर से जुड़ी खबरें यह बताती हैं कि पूर्व में समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर सतना ने आदेश दिया था कि वित्तीय अनियमितता और कदाचार में लिप्त कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पदों से हटाया जाए और इस आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
हालांकि, उस समय के प्रशासक ने इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि 12 साल पहले समिति के घंटाघर स्थित मालखाने से करीब 15 लाख रुपये की चोरी हो गई। तत्कालीन प्रशासक ने कैशियर देवेंद्र तिवारी को निलंबित कर जांच की जिम्मेदारी तहसीलदार को सौंपी थी। रिपोर्ट के आधार पर दोषियों से क्षति की भरपाई की जानी थी, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और नियमित प्रशासक की नियुक्ति न होने के कारण यह मामला आज तक अधर में लटका है।
पुराने दोषी कर्मचारी वापस प्रमुख पदों पर
सूत्रों की माने तो : जब से प्रशासक विकास सिंह ने पदभार संभाला है, तब से हटाए गए जो भ्रष्टतम कर्मचारी फिर से महत्वपूर्ण पदों पर लौट आए हैं। इनमें शैलेंद्र बहादुर सिंह, देवेंद्र तिवारी, बुद्धसेन पटेल, अजय सनाढ्य, अरविंद नामदेव जैसे नाम प्रमुख हैं। इन कर्मचारियों की कथित ईमानदारी पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि वर्ष 2006 में जिन छोटे-छोटे देव स्थानों से सालाना डेढ़ लाख रुपये की चढ़ौती आती थी, आज वे सिर्फ 80 हजार से एक लाख रुपये सालाना चढ़ौती दे रहे हैं।
समिति कोष पर सवाल
सवाल यह है कि जब सख्त प्रशासक के कार्यकाल में चढ़ौती अधिक थी, तो अब यह राशि कम क्यों हो रही है? इसका सीधा जवाब है – स्वार्थ और भ्रष्टाचार। इन ईमानदार कहलाने वाले कर्मचारियों ने अपने लाभ के लिए श्रद्धालुओं के दान में सेंध लगाई है।
स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि समिति को अब अपने कर्मचारियों को सात करोड़ रुपये का वार्षिक वेतन भी समय पर देना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं कैसे प्रदान की जाएंगी?
निर्माण कार्य भी पूर्व प्रशासक की देन
वर्तमान में देवी मंदिर में जो निर्माण कार्य दिखाई दे रहा है, वह भी मौजूदा प्रशासक की उपलब्धि नहीं है। यह कार्य पूर्व प्रशासक द्वारा बचाई गई बैंक जमा राशि और शासन द्वारा दिए गए धन से पूरा हुआ है।
श्रद्धालु और स्थानीय लोग अब यह सवाल कर रहे हैं कि उनके द्वारा दिए गए दान का सही इस्तेमाल कब होगा और कब समिति में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी?