
उत्तर प्रदेश के संभल में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने इसे मुसलमानों के खिलाफ साजिश का हिस्सा बताते हुए वक़्फ़ कानून में प्रस्तावित बदलावों और मुसलमानों के अधिकारों पर हो रहे हमलों की कड़ी आलोचना की है।
संभल हिंसा: क्या हुआ?
हाल ही में संभल में भड़की हिंसा के दौरान भारी मात्रा में पथराव हुआ, गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया, और मकानों को नुकसान पहुंचाया गया। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई, जबकि कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
मदनी का कड़ा बयान
मौलाना मदनी ने कहा,
“पहले बाबरी मस्जिद, फिर ज्ञानवापी और अब जामा मस्जिद। यह सब एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। आजादी के बाद मस्जिदें जिस स्थिति में थीं, वैसी ही रहनी चाहिए थी। लेकिन अब देश में मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं।”
उन्होंने वक़्फ़ कानून में प्रस्तावित संशोधनों को मुसलमानों के खिलाफ बताया। मदनी ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने इस मुद्दे पर किसी मुस्लिम संगठन या मौलाना से चर्चा नहीं की। उनका मानना है कि अगर इस पर दारुल उलूम जैसे संगठनों से बातचीत होती, तो बेहतर समाधान निकल सकता था।
नीतीश कुमार पर तंज
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संकेत देते हुए मदनी ने कहा,
“नीतीश कुमार को यह समझना चाहिए कि उनकी राजनीति में मुसलमानों का समर्थन आवश्यक है। अगर वे हमारे अधिकारों की रक्षा करेंगे, तो हम उन्हें समर्थन देंगे। अन्यथा, हमें नए विकल्प तलाशने होंगे।”
‘देश में सांप्रदायिकता का बढ़ता खतरा’
मदनी ने प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि वक़्फ़ को धार्मिक अधिकार मानने से इनकार करना मुसलमानों के अधिकारों पर हमला है। उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद राजनीतिक संगठन नहीं है, लेकिन देश में बढ़ती सांप्रदायिकता और भेदभाव की राजनीति से देश का भविष्य खतरे में है।
झारखंड चुनाव का जिक्र
संविधान बचाओ आंदोलन का हवाला देते हुए मदनी ने झारखंड चुनाव में नफरत फैलाने वाले भाषणों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उनके संगठन की आवाज सरकार तक पहुंच चुकी है, और वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।
“यह समय नफरत के बीज बोने का नहीं, बल्कि सभी समुदायों के साथ मिलकर देश को आगे बढ़ाने का है,” उन्होंने कहा।