
मैहर की देवीजी समिति में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें और अवैध गतिविधियों का बोलबाला लंबे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। जब भी प्रशासनिक कमजोरी का दौर आता है, तब यह अवैध गैंग अपने कारनामों को अंजाम देने में सक्रिय हो जाती है। समिति के स्वयंभू इंजीनियर और उनके प्यादों की भूमिका इसमें मुख्य रही है।
रोपवे सत्यापन का मामला: रिपोर्ट आज तक अधूरी
पूर्व प्रशासक स्वर्गीय मिश्रा जी ने शिकायतों के आधार पर रोपवे का भौतिक सत्यापन कराने का आदेश दिया था। उन्होंने तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन समिति के स्वयंभू इंजीनियर की सहमति न होने के कारण यह रिपोर्ट आज तक प्रस्तुत नहीं की गई।

मंदिर में अवैध निर्माण और दान की लूट
स्वयंभू इंजीनियर द्वारा देवी मां के पैदल मार्ग में एक मंदिर का अवैध निर्माण कराया गया। यहां एक व्यक्ति देव प्रतिमा के पास बैठकर तीर्थयात्रियों से पूजा के नाम पर दान वसूलता है। इसके बारे में प्रशासन के पास कोई जानकारी या अनुमति उपलब्ध नहीं है।
कलेक्टर के आदेश की अनदेखी
एक महीने पहले कलेक्टर ने अवैध व्यक्तियों को देव स्थल से हटाने का आदेश दिया था, लेकिन स्वयंभू इंजीनियर की सहमति न होने के कारण यह आदेश अधर में लटका रहा। सूत्रों के मुताबिक, इन अवैध व्यक्तियों ने सेटिंग के जरिए अपनी स्थिति को बनाए रखा है।
भ्रष्टाचार के प्रमाण: स्वस्तिक बिल्डिंग और वेद विद्यालय भवन
स्वयंभू इंजीनियर के मार्गदर्शन में बनी स्वस्तिक बिल्डिंग और वेद विद्यालय भवन भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयां करते हैं। निर्माण के एक ही साल में स्वस्तिक बिल्डिंग का कोना गिर गया, जबकि वेद विद्यालय भवन निर्माण के दूसरे साल से ही जर्जर अवस्था में पहुंच गया।
आय से अधिक संपत्ति का मामला
प्रशासक और जिलाध्यक्ष के निवास के पास करोड़ों की लागत से बन रहा स्वयंभू इंजीनियर का भव्य भवन सवाल खड़े करता है। पूर्व में एक अनुविभागीय अधिकारी ने उनकी आय से अधिक संपत्ति की जांच के लिए नोटिस भेजा था, लेकिन जवाब देने के बजाय उन्होंने नोटिस की वैधता पर ही सवाल उठा दिया।
रोपवे आय में हेरफेर का शक
सूत्रों के अनुसार, रोपवे की टिकट बिक्री से हर महीने लगभग 2 करोड़ की आमद होती है। इस बार मेले के दौरान रोपवे से 4-4.5 करोड़ की आय होने का अनुमान है। लेकिन रोपवे डायरेक्टर और समिति के स्वयंभू इंजीनियर की मिलीभगत से आय में भारी हेरफेर की आशंका है।
मंदिर के खजाने में लूट का आरोप

मंदिर गर्भगृह की जिम्मेदारी प्रभारी सूर्यभान से छीनकर रम्मू सोनकिया को सौंप दी गई है, जो स्वयंभू इंजीनियर के प्यादों में से एक हैं। यह बदलाव मंदिर खजाने में लूट को अंजाम देने की साजिश का हिस्सा माना जा रहा है।
आगे और होगा खुलासा
यह पूरा मामला मैहर की देवीजी समिति में भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों की गहराई को उजागर करता है। रोपवे की आय से लेकर मंदिर प्रबंधन तक, हर जगह पारदर्शिता की कमी और अनियमितताओं का बोलबाला है। खबर पर बने रहिए, जल्द ही और चौंकाने वाले खुलासे किए जाएंगे।