
नई दिल्ली। 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और वांछित आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया है। उसे गुरुवार शाम एक विशेष विमान के जरिए दिल्ली लाया गया, जहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे अपनी 18 दिन की कस्टडी में ले लिया है। इस बड़े घटनाक्रम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 14 साल पुराना ट्वीट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार की विदेश नीति की तीखी आलोचना की थी।
PM मोदी का पुराना ट्वीट बना सुर्खियां
प्रधानमंत्री मोदी ने 2010 में एक ट्वीट कर अमेरिका द्वारा तहव्वुर राणा को “निर्दोष” बताए जाने पर गहरी नाराजगी जताई थी। उन्होंने लिखा था:
“मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका द्वारा निर्दोष ठहराना भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला है। यह तत्कालीन यूपीए सरकार की असफल विदेश नीति का परिणाम है।”
अब जबकि राणा भारत की जमीन पर है, यह ट्वीट फिर से लोगों की जुबान पर आ गया है, जिसे “कूटनीतिक विजय” के रूप में देखा जा रहा है।
कौन है तहव्वुर राणा?
पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा, 2008 के 26/11 मुंबई आतंकी हमले में शामिल आतंकियों की साजिश में सहायक माना जाता है। इस हमले में 166 लोगों की जान गई थी, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। राणा पर आरोप है कि वह पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और अन्य जिहादी तत्वों के साथ संपर्क में था।
इस हमले की जांच के दौरान, डेविड कोलमैन हेडली—जो राणा का बचपन का दोस्त और इस साजिश का मुख्य साजिशकर्ता था—ने राणा की भूमिका उजागर की थी। हेडली ने बताया कि उसने मुंबई में रेकी के लिए भारत की पांच बार यात्रा की थी और इसके लिए राणा ने ही फर्जी बिजनेस वीजा की व्यवस्था करवाई थी। साथ ही मुंबई में ऑफिस खोलने की अनुमति भी दी थी।
कैसे हुआ प्रत्यर्पण?
2013 में अमेरिका की एक अदालत ने तहव्वुर राणा को 14 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2020 में स्वास्थ्य कारणों के चलते उसे अस्थायी रूप से रिहा कर दिया गया था। उसी वर्ष भारत सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की।
इसके बाद, राणा ने प्रत्यर्पण रोकने के लिए अमेरिका में कई कानूनी प्रयास किए, लेकिन सभी विफल रहे। अंततः, प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुए उच्चस्तरीय संवाद के परिणामस्वरूप अमेरिका ने राणा के प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी।
NIA की कस गई पकड़
दिल्ली पहुंचते ही राणा को NIA कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिन की हिरासत में भेज दिया गया। NIA अब उससे 26/11 हमले की साजिश, पाकिस्तान से जुड़े लिंक और अन्य आतंकियों के साथ नेटवर्क की जानकारी जुटाएगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा और न्याय के लिए एक अहम कदम
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत की कूटनीतिक और न्यायिक प्रणाली के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है। यह संदेश देता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जाकर न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

VIKAS TRIPATHI
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