Saturday, December 13, 2025
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H-1B वीज़ा पर 1 मिलियन डॉलर फीस के फैसले को लेकर ट्रंप प्रशासन के खिलाफ 19 राज्यों ने दायर किया मुकदमा

अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया सहित 19 राज्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें नए H-1B वीज़ा आवेदनों पर 1 मिलियन डॉलर (करीब 9 करोड़ रुपये) की भारी फीस तय की गई है। राज्यों का कहना है कि यह फैसला गैरकानूनी है और इससे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और तकनीक जैसे अहम क्षेत्रों में पेशेवरों की कमी और गंभीर हो सकती है।

न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिशिया जेम्स ने 18 अन्य राज्यों के अटॉर्नी जनरल के साथ मिलकर शुक्रवार को मैसाचुसेट्स की एक फेडरल कोर्ट में यह मुकदमा दायर किया। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए H-1B वीज़ा फीस में असामान्य बढ़ोतरी की गई है।

H-1B वीज़ा प्रोग्राम के तहत अमेरिका को हाई-स्किल्ड विदेशी प्रोफेशनल्स को अस्थायी रूप से काम करने की अनुमति मिलती है। इस वीज़ा के ज़रिए अमेरिका आने वाले लोगों में 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय नागरिक होते हैं।

सितंबर में हुआ था नए नियम का ऐलान

ट्रंप प्रशासन ने सितंबर में घोषणा की थी कि नए H-1B वीज़ा पाने वाले कर्मचारियों के नियोक्ताओं को 1 मिलियन डॉलर की फीस चुकानी होगी। फिलहाल यह फीस आमतौर पर 2,000 डॉलर से 5,000 डॉलर के बीच होती है। आदेश के मुताबिक, जब तक यह राशि जमा नहीं की जाती, तब तक नए H-1B वीज़ा धारकों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

हालांकि, यह नियम मौजूदा H-1B वीज़ा धारकों और 21 सितंबर से पहले आवेदन कर चुके लोगों पर लागू नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि इस फैसले को चुनौती देने वाला यह तीसरा मुकदमा है।

मुकदमे में क्या दलील दी गई

मुकदमे में कहा गया है कि इतनी भारी फीस से सरकारी और गैर-लाभकारी संस्थाओं पर गंभीर असर पड़ेगा, जो स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और अन्य जरूरी क्षेत्रों में H-1B वीज़ा धारकों पर निर्भर हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि H-1B वीज़ा प्रोग्राम के जरिए प्रतिभाशाली डॉक्टरों, नर्सों, शिक्षकों और अन्य कुशल कामगारों को अमेरिका के जरूरतमंद समुदायों की सेवा करने का अवसर मिलता है।

न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिशिया जेम्स ने कहा कि प्रशासन की यह कथित अवैध कोशिश न्यूयॉर्क के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मुश्किल बना देगी, बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा, “मैं प्रवासी समुदायों को निशाना बनाने वाली इस अव्यवस्थित और कठोर नीति के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगी।”

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