
Women Chief Minister, Yet Women Unsafe in Bengal: पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा अब बस एक राजनैतिक बहस बनकर रह गया है। आसनसोल के हीरापुर थाना क्षेत्र में एक कॉलेज छात्रा के साथ हुए गैंगरेप का मामला फिर से इस कड़वे सच को उजागर करता है कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ बची भी है या नहीं!
सोचने वाली बात यह है कि जिस राज्य की मुख्यमंत्री स्वयं एक महिला हैं, उसी राज्य में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं रोज़-ब-रोज़ बढ़ती जा रही हैं। आखिर क्यों? क्या पुलिस और प्रशासन की प्राथमिकता अब सिर्फ बालू, कोयला और गाय के पैसे वसूलने तक ही सीमित रह गई है?
देर से दर्ज हुआ मामला, आरोपी हुए फरार!
आसनसोल में गैंगरेप की यह घटना 13 फरवरी को घटी, लेकिन पुलिस ने इसे संज्ञान में लेना 14 फरवरी (वेलेंटाइन डे) को जरूरी समझा। आखिर पुलिस इतने घंटे तक क्या कर रही थी? क्या वह पहले यह तय कर रही थी कि मामला दर्ज करना भी है या नहीं?
आरोपियों के नाम रोहित राय, चंदन यादव, अभिषेक बर्णवाल और आकाश बिन्द सामने आए हैं, लेकिन 48 घंटे बीत जाने के बाद भी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। यह कैसी पुलिस है जो नेता विरोधियों पर झूठे केस लगाने में तेज़ी दिखाती है, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध पर ठंडे बस्ते में बैठ जाती है?
बीजेपी का प्रदर्शन, पर पुलिस का जवाब ‘हम देख रहे हैं’
जब भाजपा विधायक लखन घरुई पीड़िता से मिलने दुर्गापुर के ईएसआई अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें मिलने तक नहीं दिया गया। मजबूर होकर उन्हें अस्पताल के बाहर प्रदर्शन करना पड़ा। दूसरी ओर, भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लाइन के सामने विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन पुलिस की तरफ से वही घिसा-पिटा जवाब—‘हम देख रहे हैं’।
महिला सुरक्षा पर बंगाल सरकार की नाकामी!
आखिर बंगाल की महिला मुख्यमंत्री बताएं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए उनकी सरकार ने क्या किया है? या फिर वे सिर्फ विपक्षी नेताओं पर केस दर्ज करवाने में व्यस्त हैं? महिला थाना ने मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन गिरफ्तारी एक भी नहीं!
पुलिस कोयला, बालू और गाय के धंधे में लगी है, उन्हें आसनसोल की इस छात्रा की तकलीफ से कोई फर्क नहीं पड़ता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज में गुंडे बेखौफ हैं, पुलिस बंधुआ मजदूर बनी हुई है, और महिलाएं असुरक्षित।
आखिर कब तक बंगाल में बेटियों के साथ ऐसा ही होता रहेगा? क्या ममता बनर्जी सरकार अब भी नींद से जागेगी, या फिर किसी और बेटी की चीखें इसे सुनाने के लिए मजबूर होंगी?