आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का मेडिकल रजिस्ट्रेशन गुरुवार को सीबीआई जांच के बीच रद्द कर दिया गया। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने पहले ही गिरफ्तार डॉक्टर से कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि उनका मेडिकल रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं रद्द किया गया। यह घटनाक्रम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पश्चिम बंगाल चैप्टर द्वारा इसी तरह का अनुरोध किए जाने के कुछ दिनों बाद हुआ है। अधिकारियों ने पुष्टि की कि पूर्व प्रिंसिपल का नाम 19 सितंबर को पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल द्वारा बनाए गए पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर्स की सूची से हटा दिया गया था। बंगाल मेडिकल एक्ट के विभिन्न प्रावधानों के तहत उनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया था
कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले में गिरफ्तारी के बाद घोष फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं। उन्हें आरजी कर अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद महिला चिकित्सक के बलात्कार और हत्या में कथित संलिप्तता के लिए सप्ताहांत में ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल के साथ गिरफ्तार किया गया था। कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार पुलिसकर्मी को बुधवार को निलंबित कर दिया। इस बीच पश्चिम बंगाल नगर निगम के अध्यक्ष सुदीप्तो रॉय (जो टीएमसी विधायक भी हैं) गुरुवार को संबंधित मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश हुए। एजेंसी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही है। रॉय (जो आरजी कर मरीजों की कल्याण समिति के भी प्रभारी हैं) से पहले कथित अनियमितताओं के बारे में सीबीआई ने पूछताछ की थी। इससे पहले मंगलवार को आईएमए बंगाल ने रॉय को पत्र लिखकर पूछा था कि घोष का मेडिकल पंजीकरण अभी तक रद्द क्यों नहीं किया गया। पत्र में पूर्व प्रिंसिपल के करीबी माने जाने वाले टीएमसी विधायक से यह भी आग्रह किया गया कि “डॉ. संदीप घोष के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को अलग रखें और उनका मेडिकल पंजीकरण तुरंत रद्द करें।” यह पत्र आईएमए बंगाल इकाई के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप कुमार और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतनु सेन ने लिखा है।
VIKAS TRIPATHI
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