
हैदराबाद: वक्फ संपत्तियों को लेकर देशभर में चल रही बहस के बीच AIMIM के वरिष्ठ नेता और विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम को मुसलमानों की धार्मिक स्वायत्तता और संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया और कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि उन्हें व्यवस्थित ढंग से खत्म करने के लिए बनाया गया है। उन्होंने इस कानून को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
“हम वक्फ छोड़ने वाले नहीं”: अकबरुद्दीन ओवैसी का ऐलान
रविवार को हैदराबाद के धरना चौक पर AIMIM और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में बोलते हुए अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा:
“जो लोग यह सोचते हैं कि इस कानून के जरिए हमें डराया जा सकता है, वे भूल में हैं। हमारा मनोबल न तो गिरा है और न ही गिरेगा। हम शरीयत नहीं छोड़ेंगे, हिजाब नहीं छोड़ेंगे और न ही वक्फ से जुड़े अपने अधिकार छोड़ेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि वक्फ केवल जमीन-जायदाद का मसला नहीं, बल्कि यह मुसलमानों की आस्था और विरासत का प्रश्न है, जिसकी रक्षा हर हाल में की जाएगी।
“वक्फ संशोधन अधिनियम मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है”
अकबरुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नए वक्फ संशोधन अधिनियम के जरिए सरकार वक्फ संपत्तियों को धीरे-धीरे नष्ट करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है, जो धार्मिक संस्थाओं को अपनी व्यवस्था स्वतंत्र रूप से चलाने का अधिकार देता है।
“हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में केवल हिंदू सदस्य होते हैं, सिख गुरुद्वारों में सिख होते हैं, लेकिन वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति कर मुसलमानों की धार्मिक स्वायत्तता को चुनौती दी जा रही है। यह सीधा धार्मिक हस्तक्षेप है।”
“संविधान के दायरे में रहकर करेंगे संघर्ष”
AIMIM नेता ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी वक्फ के लिए लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से लड़ाई जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी एक पार्टी का नहीं, बल्कि पूरे मुस्लिम समाज का है, जो अपनी धार्मिक, सामाजिक और संवैधानिक पहचान के लिए उठ खड़ा हुआ है।
“हम कानून के दायरे में रहकर लड़ेंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं। वक्फ पर हमला अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह हमारी आस्था, इतिहास और हक का सवाल है।”
प्रदर्शन में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भी भागीदारी
धरना प्रदर्शन में AIMPLB के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया और वक्फ कानून को लेकर केंद्र की नीतियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की हिफाजत नहीं, बल्कि उन्हें ‘सरकारी कब्जे’ में लेना है।
पृष्ठभूमि: वक्फ संशोधन अधिनियम पर विवाद
2024 में केंद्र सरकार द्वारा लाया गया वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill, 2024) कई प्रावधानों को लेकर विवादों में है। इसमें वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव, गैर-मुस्लिमों को बोर्ड में शामिल करने की संभावना, और वक्फ संपत्तियों की निगरानी का दायरा बढ़ाया गया है। मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि इससे समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा और उनकी स्वायत्तता समाप्त हो जाएगी।
वक्फ बना सियासी और संवैधानिक लड़ाई का केंद्र
अकबरुद्दीन ओवैसी का यह तीखा बयान ऐसे समय आया है जब देशभर में वक्फ कानून को लेकर असंतोष पनप रहा है। AIMIM इस मुद्दे को व्यापक मुस्लिम जनमानस से जोड़ने की कोशिश कर रही है और इसे एक धार्मिक और संवैधानिक संघर्ष का रूप देने में जुटी है।