Saturday, September 13, 2025
Your Dream Technologies
HomeNational"वक्फ एक्ट" पर “सुप्रीम कोर्ट की मुहर या रोक? सोमवार को होगा...

“वक्फ एक्ट” पर “सुप्रीम कोर्ट की मुहर या रोक? सोमवार को होगा साफ़”

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना अंतरिम आदेश जारी करेगा। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (सीजेआई बी.आर. गवई नहीं?) [नोट: यहाँ आपके ड्राफ्ट में “सीजेआई बीआर गवई” लिखा है, जबकि वास्तविक सीजेआई का नाम अलग हो सकता है – आप चाहें तो इस पर तथ्य स्पष्ट कर लें] की अध्यक्षता वाली पीठ यह तय करेगी कि क्या कानून के विवादित प्रावधानों पर रोक लगाई जाए या नहीं, जब तक कि अदालत गुण-दोष के आधार पर अंतिम फैसला न सुना दे।

 

22 मई को अदालत ने इस मामले पर तीन दिन तक चली विस्तृत बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अधिनियम मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उनका आरोप है कि नए प्रावधान भेदभावपूर्ण हैं और सदियों पुरानी वक्फ परंपरा को कमजोर करते हैं।

केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्र ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से कानून का बचाव किया और कहा कि इसमें कोई अनुचित भेदभाव नहीं है। उनका कहना था कि वक्फ मूल रूप से इस्लामी अवधारणा है, इसलिए “किसी भी व्यक्ति” को वक्फ करने की अनुमति (2013 संशोधन) वैचारिक रूप से त्रुटिपूर्ण थी। नए प्रावधान पारदर्शिता, जवाबदेही और अतिक्रमण से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाए गए हैं।

मेहता ने यह भी कहा कि अनुसूचित जनजातियों की जमीन पर वक्फ का दावा रोकना कमजोर समुदायों और उनकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए आवश्यक है। वहीं, उन्होंने पाँच वर्ष तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होने की शर्त को शरीयत कानून के अनुरूप बताया।

याचिकाकर्ताओं की दलीलें

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि—

वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण का दायित्व संरक्षकों पर डालना राज्य की विफलता के कारण समुदाय को दंडित करना है।

यह कानून अनुच्छेद 26 के तहत धार्मिक समुदायों को अपनी संपत्ति प्रबंधन का संवैधानिक अधिकार कमजोर करता है।

पंजीकरण और सरकारी हस्तक्षेप की बाध्यता वैध वक्फ की मान्यता में “दुष्चक्र” उत्पन्न कर सकती है।

इस्लाम में दान (चैरिटी) पाँच बुनियादी स्तंभों में से एक है, जिसे सीमित करना असंवैधानिक होगा।

डिजिटल पंजीकरण को लेकर विवाद

केंद्र सरकार ने हाल ही में सभी वक्फ संपत्तियों को छह माह के भीतर UMEED (Unified Management, Empowerment, Efficiency and Development) पोर्टल पर पंजीकृत करने का आदेश दिया है। अदालत ने इस पर तत्काल रोक लगाने से इनकार किया था। केंद्र का तर्क है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से पारदर्शिता आएगी, जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पंजीकरण की बाध्यता ऐतिहासिक और मौखिक परंपराओं से मान्य वक्फ संपत्तियों को खतरे में डाल देगी।

महत्वपूर्ण मोड़

सुप्रीम कोर्ट का सोमवार का फैसला न केवल कानून के तत्काल क्रियान्वयन पर असर डालेगा, बल्कि पूरे देश में वक्फ संपत्ति प्रबंधन के भविष्य की दिशा भी तय कर सकता है।

यह अधिनियम संसद में कड़े मतों के अंतर से पारित हुआ था – लोकसभा में 288-232 और राज्यसभा में 128-95 मतों से। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 5 अप्रैल को इसे अधिसूचित किया गया।

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button