
कोलकाता/मुर्शिदाबाद।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में 10 अप्रैल से भड़की हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। इस बीच पुलिस, प्रशासन, केंद्र सरकार और न्यायपालिका—सभी सक्रिय हो गए हैं। कहीं आगजनी हो रही है, तो कहीं हत्याएं। केंद्र ने बीएसएफ और सीएपीएफ की अतिरिक्त टुकड़ियां भेजीं हैं, जबकि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है।
DGP का अलर्ट: “यह अच्छाई और बुराई की लड़ाई है”
राज्य के डीजीपी राजीव कुमार ने हिंसा में शामिल लोगों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा—
“यह अच्छाई और बुराई के बीच की लड़ाई है। अफवाहों को फैलने से रोकना होगा। हम नागरिकों से अपील करते हैं कि कानून को अपने हाथ में न लें। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।”
केंद्र की सख्ती: गृह सचिव ने की स्थिति की समीक्षा
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि केंद्र हिंसा पर करीबी नजर रख रहा है और जरूरत पड़ने पर हरसंभव सहायता देगा।
इस बीच, पहले से मौजूद 300 बीएसएफ जवानों के अलावा केंद्र ने 5 अतिरिक्त कंपनियां मुर्शिदाबाद भेज दी हैं।
हत्या, गोलीबारी और घायल मजदूर: हालात चिंताजनक
- समसेरगंज के जाफराबाद में एक पिता और पुत्र की घर में घुसकर चाकू से हत्या कर दी गई।
- सुती के सजुर मोड़ पर हुई झड़प में एक 21 वर्षीय युवक को गोली लगी, जिसकी मौत अस्पताल में हो गई।
- धुलियान में बीड़ी फैक्ट्री के दो मजदूरों को गोली लगी, जिनमें एक नाबालिग है।
अब तक 138 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
पुलिस पर हमले, रेलवे संपत्ति को नुकसान
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों में आग लगा दी, सड़कों पर जाम लगाया और रेलवे संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। पूर्वी रेलवे के न्यू फरक्का-अजीमगंज खंड पर 6 घंटे तक ट्रेन सेवाएं बाधित रहीं। कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और धारा 144 लागू है।
ममता बनर्जी की अपील: “दंगे न भड़काएं”
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी समुदायों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा—
“कृपया धर्म के नाम पर कोई अधार्मिक कार्य न करें। राजनीति के लिए दंगे न भड़काएं। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वे समाज को नुकसान पहुँचा रहे हैं।”
साथ ही उन्होंने साफ किया कि राज्य में वक्फ संशोधन कानून लागू नहीं किया जाएगा।
राजनीति गरमाई: हिंदू समुदाय पर हमले का आरोप
बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि यह केवल विरोध प्रदर्शन नहीं बल्कि “पूर्व नियोजित हिंसा” है और एनआईए जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि जिहादी ताकतें लोकतंत्र पर हमला कर रही हैं।
सुकांत मजूमदार, राज्य बीजेपी अध्यक्ष, ने कहा—
“हिंदुओं पर हमले के दौरान प्रशासन आंख मूंदे बैठा रहा। बीजेपी सत्ता में आई तो 5 मिनट में ऐसे तत्वों को कुचल दिया जाएगा।”
जवाब में टीएमसी के अभिषेक बनर्जी ने विपक्ष पर समाज में सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप लगाया।
हाईकोर्ट सख्त: केंद्र और राज्य से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीएपीएफ तैनात करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा—
“जब नागरिकों की सुरक्षा खतरे में हो, तो कोर्ट आंखें बंद नहीं रख सकता। सरकारें यह सुनिश्चित करें कि स्थिति नियंत्रण में रहे।”
अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी और उससे पहले केंद्र व राज्य सरकार को स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी है।
निष्कर्ष: एक संवेदनशील मसले पर उबाल और असमंजस
राज्य सरकार के कानून को लेकर स्पष्ट रुख, केंद्र की सख्ती, हाईकोर्ट की निगरानी और विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया—इन सबके बीच पीड़ित नागरिक ही सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। सवाल है:
क्या कानून और व्यवस्था की इस लड़ाई में आम इंसान की सुरक्षा सबसे ऊपर रहेगी?

VIKAS TRIPATHI
भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए “पर्दाफास न्यूज” चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।