अरंबाई तेंगगोल संगठन के नेता की गिरफ्तारी बनी हिंसा की वजह, प्रशासन अलर्ट पर
मणिपुर एक बार फिर अशांति की चपेट में है। शनिवार रात से राज्य के पांच जिलों — इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, थौबल, ककचिंग और विष्णुपुर — में कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। यह कदम उस समय उठाया गया जब अरंबाई तेंगगोल संगठन के एक प्रमुख मैतेई नेता की गिरफ्तारी के बाद इलाके में अचानक विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी।
इंटरनेट बंद, धारा 144 लागू
प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पांच दिनों तक मोबाइल डेटा और ब्रॉडबैंड सेवाएं निलंबित कर दी हैं। इसके साथ ही चार जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है, जहां चार या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी गई है। विष्णुपुर जिले में पूर्ण कर्फ्यू लगाया गया है।
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय अफवाहों और उकसावे को रोकने के लिए जरूरी था। अगर कोई आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
गिरफ्तारी के बाद सड़कों पर उतरे समर्थक
जैसे ही अरंबाई तेंगगोल के नेता की गिरफ्तारी की खबर फैली, हजारों समर्थक सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने टायर और फर्नीचर जलाए, और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नेता की रिहाई की मांग की।
इस उग्र विरोध को देखते हुए अलर्ट मोड पर आई पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया। हालात को देखते हुए इम्फाल के कई स्कूलों को अगले आदेश तक बंद करने का फैसला लिया गया है।
राष्ट्रपति शासन में फिर अशांति
गौरतलब है कि मणिपुर में 14 फरवरी 2024 से राष्ट्रपति शासन लागू है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को जातीय हिंसा को रोकने में विफल रहने के चलते इस्तीफा दे दिया था।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद मणिपुर में कुछ हद तक शांति लौटने लगी थी, लेकिन हालिया गिरफ्तारी ने फिर से तनाव को जिंदा कर दिया है।
हिंसा की भयावह पृष्ठभूमि
- अब तक मणिपुर की जातीय हिंसा में 258 लोगों की मौत हो चुकी है।
- 5,600 से ज्यादा सरकारी हथियार और 6.5 लाख राउंड गोला-बारूद लूटे जा चुके हैं।
- करीब 60,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें से हजारों आज भी राहत शिविरों में रह रहे हैं।
केंद्र और राज्य प्रशासन की चुनौती
वर्तमान स्थिति एक बार फिर केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। विशेष रूप से ऐसे समय में जब राज्य की संवैधानिक व्यवस्था निलंबित है और राज्यपाल के अधीन प्रशासन चल रहा है।
विशेषज्ञों की राय:
सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अरंबाई तेंगगोल जैसे संगठनों पर नियंत्रण और पारदर्शी जांच ही मणिपुर को स्थायी शांति की ओर ले जा सकती है।
मणिपुर में एक बार फिर हालात गंभीर हैं।
केंद्र और राज्य प्रशासन को संतुलन बनाते हुए सख्ती और संवाद दोनों को साथ लेकर चलना होगा, वरना यह अस्थिरता और गहराती जाएगी।