वाराणसी: शहर के गायघाट इलाके के 32 वर्षीय शुभम जायसवाल का नाम उत्तर प्रदेश और पड़ोसी क्षेत्रों में चल रहे कोडीन बेस्ड कफ सिरप की अवैध तस्करी मामले में सामने आया है। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि बीते पाँच वर्षों में उसके नियंत्रित कारोबार से अटकलों के मुताबिक भारी संपत्ति जमा हुई — प्रारंभिक आंकड़ों में बोले तो उसके कारोबार से हुई कमाई को लेकर कुछ सूत्रों में करीब 2,000 करोड़ रुपये तक का आकलन भी रखा जा रहा है — जबकि औपचारिक जांच में मामला अभी कई आयामों में खुल रहा है। शुभम के खिलाफ यूपी में दो FIR दर्ज की जा चुकी हैं और इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है।
कैसे हुआ कारोबार — पृष्ठभूमि
शुभम के पिता, भोलानाथ प्रसाद, पहले से दवा व्यवसाय से जुड़े हुए थे, लेकिन परिवार का जीवन सरल था और वे गायघाट के एक छोटे मकान में रहते थे। कोरोना महामारी के दौरान शुभम ने दवा बाजार में उतरने का निर्णय लिया और रांची में ‘शैली ट्रेडर्स’ नाम से एक फर्म रजिस्टर कराई। जांच एजेंसियों के अनुसार यही फर्म अवैध बिलिंग व सप्लाई का केंद्र बन गई।
मॉडस ऑपरेन्डी — सप्लाई चेन और फर्जीवाड़ा
जांच में पता चला है कि शुभम ने सुपर-स्टॉकिस्ट की भूमिका निभाई — उसके संपर्कों में छोटे और बड़े कई स्टॉकिस्ट और रिटेलर थे। फर्जी दस्तावेज़ और बोगस बिलिंग के सहारे वह बड़े पैमाने पर कोडीन युक्त कफ सिरप की सप्लाई कराता था। कई दवाओं के लाइसेंस बिना ठीक से सत्यापन किए जारी किए गए; कई लाइसेंस-धारक फर्में केवल कागज़ों पर मौजूद थीं और जमीनी स्तर पर उनकी दवा दुकानें मौजूद नहीं थीं।
नेटवर्क की पहुंच — राज्यों से अंतरराष्ट्र तक
जांच के प्रारंभिक अनुरोधों से पता चला है कि रैकेट के तार झारखंड, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक जुड़े हैं। अधिकारी इसे यूपी से बांग्लादेश तक फैले तस्करी-जाल के रूप में देख रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यही नेटवर्क तस्करी को अंतरराजीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित कर रहा था।
विभागीय कार्रवाई और प्रवर्तन
अपर आयुक्त-ड्रग विभाग एवं विशेष सचिव रेखा एस. चौहान ने बताया है कि इस मामले में शैली ट्रेडर्स के जरिए पूरा रैकेट ऑपरेट किया गया। इस मामले में शुभम समेत कुल 28 लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा, “अब तक की जांच में यह मामला करीब 100 करोड़ रुपये के घोटाले के रूप में सामने आया है,” और मामले की गहराई तथा वास्तविक हदें विस्तृत जाँच के बाद ही स्पष्ट होंगी।
एसआईटी और विभागीय टीम वाराणसी में कैंप कर के जांच कर रही हैं। जांच एजेंसियाँ इस बात की भी पड़ताल कर रही हैं कि किन-किन ड्रग इंस्पेक्टरों (DI) और ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी (DLA) के कर्मचारीयों ने मिलीभगत कर के इतनी बड़ी संख्या में लाइसेंस जारी किए — और यह कि उन लाइसेंसों के पीछे किस प्रकार की प्रक्रियात्मक चूकों का फायदा उठाया गया।
क्या कहा गया — आगे का रास्ता
प्रारंभिक प्रमाण और आय-लेनदेन के आँकड़े जब्त किए जा रहे हैं और संपत्तियों के स्रोत की छानबीन की जा रही है। अभियोजन और विभागीय कार्रवाई दोनों स्तरों पर जांच जारी है; आवश्यक पाए जाने पर संपत्ति कुर्क करने और संबंधित अधिकारियों पर अन्वेषण चलाने की प्रक्रियाएँ अपनाई जाएँगी।
जांच अधीन इस मामले की गहराई और नेटवर्क की सीमा अभी स्पष्ट नहीं हुई है — एसआईटी की विस्तृत जाँच और फॉरेंसिक ऑडिट के बाद ही दोषी व्यक्तियों और मनी-लॉन्ड्रिंग चैनलों का पूरा नक्शा सामने आएगा।














