Wednesday, July 2, 2025
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सुप्रीम कोर्ट में अनोखी स्थिति: वकील ने दी आत्महत्या की धमकी, जस्टिस ओका ने दी कड़ी चेतावनी

नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई जब दो वकीलों के आपसी विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने आत्महत्या की धमकी दे डाली। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ इस घटना से स्तब्ध रह गई।

जस्टिस ओका की सख्त फटकार: ‘अदालत को धमकाना अस्वीकार्य’

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए वकील ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि यदि प्रतिवादी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द नहीं की गई, तो वह आत्महत्या कर लेंगे। इस पर जस्टिस ओका ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा,
“आप अदालत को इस तरह धमकी नहीं दे सकते। आप एक वकील हैं, यह आचरण पूरी तरह अनुचित है। यदि आप ऐसी धमकियां देते हैं, तो हम बार काउंसिल से आपका लाइसेंस निलंबित करने और आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश करेंगे।”

सात मार्च तक बिना शर्त लिखित माफी का आदेश

न्यायमूर्ति ओका की पीठ ने वकील को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वह सात मार्च तक बिना शर्त लिखित माफी नहीं मांगते, तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 7 मार्च को निर्धारित की है।

‘माफी मांगने के लिए बाध्य नहीं, लेकिन परिणाम भुगतने को रहें तैयार’

पीठ ने स्पष्ट किया कि वकील को माफी मांगने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है, लेकिन उन्हें अनुपालन नहीं करने की स्थिति में संभावित परिणामों को लेकर आगाह किया गया है। वकील ने बाद में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से फिर से पेश होकर कहा,
“मैं दिल से माफी मांगता हूं। मैं भावुक हो गया था।”
हालांकि, जस्टिस ओका ने मौखिक माफी को अस्वीकार करते हुए लिखित माफीनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह घटना “रमेश कुमारन और अन्य बनाम पुलिस निरीक्षक एवं अन्य” मामले की सुनवाई के दौरान हुई, जहां अधिवक्ता रमेश कुमारन ने प्रतिवादी राघवेंद्रन के खिलाफ दायर प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

अदालत में अनुशासन और गरिमा बनी रहनी चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को बेहद गंभीरता से लिया और स्पष्ट संदेश दिया कि न्यायालय की गरिमा से समझौता नहीं किया जा सकता। न्यायपालिका को प्रभावित करने के ऐसे प्रयासों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब देखना होगा कि 7 मार्च को वकील की लिखित माफी अदालत को संतुष्ट कर पाती है या नहीं।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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