नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन के दौरान देशभर से आए लगभग 800 वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संवाद किया। सम्मेलन में फिजिकल और वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए गृहमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत की वैश्विक आर्थिक साख को बाधित करने की मंशा रखने वाली आंतरिक और बाहरी शक्तियों से निपटना अब सुरक्षा एजेंसियों की मुख्य प्राथमिकता होनी चाहिए।
पहला दिन: बाहरी ताकतों, नारकोटिक्स नेटवर्क और तकनीकी चुनौतियों पर चर्चा
शनिवार को सम्मेलन के पहले दिन गृहमंत्री ने देशविरोधी विदेशी तत्वों, उनके ड्रग तस्करी नेटवर्क और भारत में मौजूद घरेलू सहयोगियों की भूमिका पर विशेष चिंता जताई। उन्होंने एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन ऐप्स, भीड़ प्रबंधन में तकनीकी समाधान, और असुरक्षित द्वीप क्षेत्रों की सुरक्षा जैसे उभरते मुद्दों पर भी गहन चर्चा की।
सम्मेलन में आतंकवाद के वित्तपोषण, फरार अपराधियों की वापसी, और सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय की मजबूती को लेकर भी विचार-विमर्श हुआ। गृह मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि एन्क्रिप्टेड संचार का मुकाबला करने के लिए सभी नेटवर्क ऑपरेटरों के साथ मिलकर एक साझा तकनीकी मंच तैयार किया जाए।
दूसरा दिन: उड्डयन, तटीय सुरक्षा और नक्सलवाद पर केंद्रित रहा फोकस
रविवार को सम्मेलन के अंतिम दिन, चर्चा का केंद्र नागरिक उड्डयन और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा, वामपंथी उग्रवाद की रोकथाम, और नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ रणनीति रहा। गृह मंत्री अमित शाह ने अपने समापन भाषण में कहा, “भारत की आर्थिक प्रगति के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां भी बढ़ेंगी। हमें एकजुट, सजग और समन्वित होकर इनका मुकाबला करना होगा।”
राज्य-केंद्र की साझा रणनीति और युवा अधिकारियों की भागीदारी पर ज़ोर
गृहमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए राज्य और केंद्र की एजेंसियों की होमोजीनियस (homogeneous) टीमें बनाई जानी चाहिए, जो रणनीति बनाने, उसे लागू करने और निगरानी के कार्य में दक्ष हों। उन्होंने सुझाव दिया कि युवा पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रीय मंथन प्रक्रियाओं में शामिल किया जाए, जिससे वे समकालीन सुरक्षा चुनौतियों को समझ सकें और नवाचारी समाधान प्रस्तुत कर सकें।
उन्होंने कहा कि NATGRID, NIDAAN, iMoT, और CBI के भगोड़े अपराधियों के डेटाबेस जैसे तकनीकी प्लेटफॉर्म्स को पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
“अगले 5-10 साल भारत की सुरक्षा के लिए निर्णायक होंगे”
गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि आने वाले 5 से 10 वर्ष, भारत की सुरक्षा और विकास के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने कहा कि भारत के पड़ोसी देशों की भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए आंतरिक सुरक्षा की स्थिति गतिशील बनी रह सकती है। इस संदर्भ में उन्होंने राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय एजेंसियों को “सुरक्षा, सजगता और समन्वय” का मंत्र अपनाने की सलाह दी।
ड्रग फ्री इंडिया और तटीय सुरक्षा को बताया शीर्ष प्राथमिकता
गृह मंत्री ने सभी राज्य पुलिस महानिदेशकों (DGPs) को निर्देश दिया कि अगले तीन वर्षों में ‘नशामुक्त भारत’ के लक्ष्य को अपनी प्राथमिकता बनाएं। इसके लिए थाना स्तर पर रियल-टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग के लिए एक भरोसेमंद डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करने का भी सुझाव दिया।
उन्होंने छोटे बंदरगाहों की सुरक्षा, तस्करी और घुसपैठ की रोकथाम के लिए राज्य पुलिस की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इसके साथ ही, एयरपोर्ट सुरक्षा, सिविल एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर और रीपीट अपराधियों पर सख्त कार्रवाई जैसे मुद्दों को भी उच्च प्राथमिकता देने को कहा।
मुख्य बिंदु (Key Highlights):
सुरक्षा एजेंसियों की पहली प्राथमिकता हो: भारत की आर्थिक स्थिरता में बाधा डालने वालों से मुकाबला
एन्क्रिप्टेड ऐप्स और ड्रग नेटवर्क से निपटने के लिए साझा तकनीकी मंच बनाने के निर्देश
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका के साथ सुरक्षा चुनौतियां भी होंगी जटिल
युवा पुलिस अधिकारियों को मंथन प्रक्रिया और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में व्यापक रूप से शामिल करने की योजना
NATGRID, NIDAAN, iMoT और CBI डेटाबेस का अनिवार्य उपयोग
अगले 3 वर्षों में ‘नशामुक्त भारत’ बनाने का राष्ट्रीय लक्ष्य
तटीय सुरक्षा, एयरपोर्ट और बंदरगाहों की निगरानी को और मजबूत करने पर बल