
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप से देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि भारत के आंतरिक मसले में तीसरी ताकत की भूमिका क्यों आ रही है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि “पाकिस्तान कश्मीर के अंतरराष्ट्रीयकरण में सफल हो गया है।” हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चिंता का समाधान केवल 24 घंटे के भीतर अपने निर्णायक बयान के जरिए कर दिया।
क्या कहा था डोनाल्ड ट्रंप ने?
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा करते हुए कहा था— “मैं दोनों देशों के साथ मिलकर यह देखना चाहता हूं कि क्या एक हज़ार साल बाद कश्मीर समस्या का कोई समाधान निकाला जा सकता है।” उनके इस बयान ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। विपक्षी दलों ने इसे भारत की कूटनीतिक कमजोरी बताते हुए मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला।
उमर अब्दुल्ला की नाराज़गी
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा— “हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां हमें कभी नहीं होना चाहिए था। आज फिर पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचा दिया है। यह भारत की एक रणनीतिक विफलता है।”
पीएम मोदी का निर्णायक जवाब
प्रधानमंत्री मोदी ने मात्र 24 घंटे के भीतर राष्ट्र के नाम संबोधन में पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अब कश्मीर पाकिस्तान के सिलेबस से बाहर हो चुका है और भविष्य में कोई भी वार्ता केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर होगी—not कश्मीर। पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर कोई बाहरी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी।
पाकिस्तान को फिर मिली अंतरराष्ट्रीय मंच पर नाकामी
पाकिस्तान वर्षों से संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है, लेकिन भारत ने हर बार उसे ठोस कूटनीतिक जवाब दिया है। अब एक बार फिर भारत ने यह साबित कर दिया है कि वह किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को स्वीकार नहीं करता। पाकिस्तान को उसकी भाषा में जवाब दिया जाएगा—कूटनीति से भी और ज़रूरत पड़ी तो सर्जिकल स्ट्राइक से भी।

VIKAS TRIPATHI
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