Friday, August 1, 2025
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25% टैरिफ के साये में अमेरिका का खास संदेशवाहक भारत दौरे पर, IMEC कॉरिडोर को लेकर बढ़ेगी कूटनीतिक हलचल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बीच व्हाइट हाउस के दक्षिण एशिया मामलों के सबसे प्रभावशाली अधिकारी रिकी गिल अगले सप्ताह भारत दौरे पर आ सकते हैं। बताया जा रहा है कि उनका यह दौरा भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) पर केंद्रित एक उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन के सिलसिले में हो सकता है। यह जानकारी विश्वसनीय सरकारी सूत्रों से सामने आई है।

रिकी गिल वर्तमान में व्हाइट हाउस स्थित नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) में दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सीनियर डायरेक्टर हैं। माना जा रहा है कि अपने भारत प्रवास के दौरान वह शीर्ष भारतीय अधिकारियों के साथ-साथ यूरोपीय और पश्चिम एशियाई देशों के प्रतिनिधियों से महत्वपूर्ण मुलाकातें कर सकते हैं।
NSC अमेरिकी नीतिनिर्माण प्रणाली का अत्यंत शक्तिशाली अंग है, जो रक्षा, विदेश, वाणिज्य और खुफिया विभागों के बीच समन्वय स्थापित करता है।

पुराने ट्रंप प्रशासक और ऊर्जा कूटनीति के माहिर हैं गिल

गिल ट्रंप प्रशासन के अनुभवी अधिकारियों में से हैं। पूर्ववर्ती कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में रूस और यूरोप से जुड़े ऊर्जा नीति मामलों की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके अतिरिक्त, वह अमेरिकी विदेश विभाग में भी कार्य कर चुके हैं, जिससे उनकी कूटनीतिक समझ और व्यापक मानी जाती है।

उनकी प्रस्तावित भारत यात्रा 5-6 अगस्त को दिल्ली में आयोजित होने वाले IMEC शिखर सम्मेलन के मद्देनज़र हो रही है। यह सम्मेलन उस महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारे को गति देने का प्रयास है जो भारत को मध्य पूर्व के ज़रिए यूरोप के बाज़ारों से जोड़ने की परिकल्पना करता है।

IMEC: कागज़ों से ज़मीन पर आने की चुनौती

IMEC की घोषणा पहली बार सितंबर 2023 में भारत में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी। भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ, सऊदी अरब, UAE, फ्रांस, जर्मनी और इटली इसके संस्थापक समझौते के हस्ताक्षरकर्ता रहे हैं। यह गलियारा चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना को एक वैकल्पिक वैश्विक ढांचा देने के प्रयास के रूप में देखा गया था।

हालाँकि, 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास के हमले के बाद शुरू हुए संघर्ष ने इस परियोजना की व्यवहार्यता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। इस भू-राजनीतिक अस्थिरता ने पश्चिम एशिया में कनेक्टिविटी की संभावनाओं को अस्थायी रूप से जटिल बना दिया है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी 2024 की शुरुआत में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि,हम इस गलियारे से जुड़ी कई अपेक्षाएं लेकर चल रहे थे, लेकिन इजराइल-गाजा संघर्ष के कारण हमें रणनीतिक पुनःमूल्यांकन करना पड़ा है।

टैरिफ तनाव बनाम कनेक्टिविटी कूटनीति

जहाँ एक ओर राष्ट्रपति ट्रंप की प्रशासनिक शैली भारत पर व्यापारिक दबाव बनाने की रणनीति अपनाए हुए है, वहीं दूसरी ओर व्हाइट हाउस का उच्च अधिकारी भारत का दौरा कर यह संदेश देना चाहता है कि अमेरिका भारत के साथ दीर्घकालिक भू-आर्थिक साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध है।

IMEC का भविष्य अब इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या भारत, अमेरिका और यूरोपीय साझेदार मिलकर पश्चिम एशिया की जटिलताओं के बीच एक व्यवहार्य गलियारे को साकार कर सकते हैं या यह परियोजना भी ‘घोषणाओं के शोर’ में कहीं खो जाएगी।

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