
लेखक: एक आम नागरिक की नज़र से
नोएडा, जिसे दशकों पहले देश की एक “प्लांड सिटी” के रूप में स्थापित किया गया था, आज अपनी 50वीं वर्षगांठ की ओर बढ़ते हुए एक बेहद बुनियादी सवाल से जूझ रहा है—क्या यहां सुरक्षित और सुगम फुटपाथ कभी बन पाएंगे?
करीब डेढ़ साल पहले नोएडा अथॉरिटी के वर्तमान सीईओ ने पदभार ग्रहण करते ही यह बात कही थी कि “फुटपाथ सही हालत में होना शहर के नागरिकों के लिए बेहद जरूरी है।” यह बयान शहरवासियों को उम्मीद से भर गया। लगा कि शायद अब नोएडा में पैदल चलना सिर्फ मजबूरी नहीं, एक सुरक्षित विकल्प भी बनेगा।
लेकिन ज़मीनी हकीकत आज भी वहीं की वहीं है। शहर की सड़कों पर फुटपाथ ढूंढना मानो खोया खजाना खोजने जैसा अनुभव बन चुका है।

कुछ कड़वी मिसालें:
• गोल्फ कोर्स सेक्टर के बाहर फुटपाथ बुरी तरह टूटे पड़े हैं, नालियों के स्लैब गायब हैं, जिससे न सिर्फ दुर्घटना का ख़तरा बना रहता है, बल्कि साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
• सेक्टर 71 से 62 तक की मुख्य सड़क पर पैदल चलना किसी जंग के मैदान से गुजरने जैसा है। न फुटपाथ की निरंतरता है, न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था।

स्मार्ट सिटी का स्मार्ट फ़ुटपाथ कहां?
जब हम चंडीगढ़ और मोहाली जैसे शहरों को देखें तो समझ आता है कि स्मार्टनेस सिर्फ ऐप्स और कैमरों से नहीं आती—वो पैदल चलने वाले उस आम नागरिक के अनुभव से भी आती है, जो हर दिन अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने, बस पकड़ने या ऑफिस जाने के लिए सड़क पार करता है।

इन शहरों में फुटपाथों की चौड़ाई तयशुदा है, पेड़ों के लिए अलग स्थान निर्धारित है, और पैदल यात्रियों की सुरक्षा प्राथमिकता में है। वहीं नोएडा में पैदल चलना खुद पर अत्याचार करने जैसा लगता है।
समाधान नहीं, संवेदनशीलता चाहिए
फुटपाथ सिर्फ कंक्रीट की पट्टी नहीं होती—यह उस शहर की मानसिकता का प्रतीक होती है जो अपने नागरिकों, विशेषकर बुजुर्गों, बच्चों और विकलांगों के बारे में कैसे सोचता है।
नोएडा की 50वीं वर्षगांठ एक सही मौका है जब न सिर्फ इस शहर के बीते सालों को याद किया जाए, बल्कि आगे की योजना में नागरिकों की बुनियादी ज़रूरतों को प्राथमिकता दी जाए।
स्मार्ट सिटी तभी बनेगी, जब सड़क सिर्फ गाड़ियों के लिए नहीं, इंसानों के लिए भी सोचेगी।
संपादकीय नोट:
यह लेख नोएडा में रह रहे हर उस व्यक्ति की आवाज़ है, जो सिर्फ इतना चाहता है कि जब वह घर से निकले, तो अपने शहर की सड़कों पर सुरक्षित चल सके।

VIKAS TRIPATHI
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