अमेरिका ने H-1B वीज़ा के नए आवेदनों पर प्रति वर्ष करीब 1 लाख डॉलर (लगभग ₹88 लाख) की भारी फ़ीस लगाने का आदेश जारी किया है। इस फैसले ने दोनों तरफ़ से तीखी प्रतिक्रियाएँ और रणनीतिक फिरौती शुरु कर दी है — शिक्षा-क्षेत्र से लेकर आईटी उद्योग और नियोक्ता-नीतियों तक असर दिखाई दे रहा है।
“हमें ट्रम्प का धन्यवाद करना चाहिए” — कामकोटि वीजीनाथन (IIT-Madras)
IIT-Madras के निदेशक कामकोटि वीजीनाथन ने इस फ़ीस वृद्धि का स्वागत करते हुए कहा कि वे इसे “आशीर्वाद” मानते हैं। उनके几点 विचार:
इससे जो छात्र और युवा अमेरिका में काम करने की चाह के साथ जा रहे थे, वे अब देश में रहकर ही काम करने का विकल्प चुन सकते हैं — और यह भारत के लिए वैज्ञानिक-शोध और टेक-टैलेंट को देश में बनाए रखने का अवसर है।
IIT-Madras के हाल के आंकड़ों के हवाले से उनका कहना है कि संस्थान का सिर्फ़ छोटा-सा भाग ही विदेश में स्थायी रूप से रहता आया है, और घरेलु अवसरों को मजबूत कर यहाँ के प्रतिभाशाली युवा पनपेंगे।
(यह उनकी सार्वजनिक टिप्पणी पर आधारित सार है।)
उद्योग पर असर — महंगी फ़ीस, नई रणनीतियाँ
वित्तीय सलाहकारों और विश्लेषकों का अनुमान है कि इस नीति का तात्कालिक असर वैश्विक टेलेंट-फ्लो और भारतीय आईटी कंपनियों के व्यापार मॉडल पर गहरा होगा। मुख्य बिंदु:
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कोई कंपनी 5,000 H-1B आवेदन करती है तो केवल आवेदन-शुल्क ही बहुत बड़ा बोझ बन जाएगा (प्रति साल 1 लाख डॉलर × 5,000 = $500 मिलियन)।
नतीजा: कई कंपनियाँ नए H-1B आवेदनों से दूरी बना सकती हैं, ऑनशोर (अमेरिका-स्थल) पर कर्मचारियों की तैनाती घटेगी और ऑफ़शोर सप्लाई व लोकल-हायरिंग पर ज़ोर बढ़ेगा।
कुछ मामलों में, ऑनसाइट लागत घटने से परिचालन मार्जिन बेहतर हो सकता है — पर समग्र राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव भी संभव है, खासकर उन कंपनियों के लिए जिनका बड़ा हिस्सा अमेरिका-आधारित प्रोजेक्ट्स पर निर्भर है।
उम्मीदवारों और छात्रों पर क्या असर होगा?
H-1B के प्रति-वर्ष शुल्क में इतनी वृद्धि आने से विदेश जाकर काम करने का प्रोत्साहन कम हो सकता है। कई प्रतिभाशाली युवा अब भारत में ही करियर बनाने की योजना चुनेंगे।
इससे भारतीय शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में टैलेंट-लिवबैक (talent stay/return) का अवसर पैदा हो सकता है — शोध, उत्पाद विकास और घरेलू आर-एंड-डी को बढ़ावा।
फिर भी, कुछ प्रोफेशनल्स उन देशों की तरफ़ रुख कर सकते हैं जहां वीज़ा-रकम कम या सुविधाएँ बेहतर मिलती हों (कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप)।
#WATCH | Chennai | On impact H-1B visa fee hike, Director, IIT-Madras, Kamakoti Veezhinathan says, “I see this as a blessing in disguise and we must thank President Trump for it. We must take full advantage of this…”
“The impact is two-fold -one, the students who go from here… pic.twitter.com/NhObnwVzFI
— ANI (@ANI) September 22, 2025
कंपनियों की रणनीतियाँ — संभावित चालें
ऑफ़शोर मॉडल मजबूत करना: ग्राहक की ज़रूरतें भारत-आधारित टीम से पूरा करना।
स्थानीय भर्ती (US hires): अमेरिका-स्थानीय प्रतिभा या तीसरे-पक्ष कंट्रैक्टर्स का उपयोग।
वर्क-विसा वैरिएंट देखना: L-1 (इंटर-कंपनी ट्रांसफर), O-1 (विशेष योग्यता) या अन्य वीज़ा मार्गों पर निर्भरता बढ़ाना।
प्राइसिंग और कॉन्ट्रैक्ट रिव्यू: ऑनसाइट-ऑफ़शोर कॉम्बो का मॉडल और अनुबंधों में लागत-रिडक्शन क्लॉज़ जोड़ना।
आर्थिक-नीतिगत और कूटनीतिक निहितार्थ
इस तरह की नीति अमेरिका-केंद्रीय आर्थिक सुरक्षा/रोज़गार सुरक्षा के दृष्टिकोण से समझी जाती है — पर इसका प्रभाव भारत-यूएस व्यापार व प्रवासन-सम्बंधों पर भी पड़ेगा।
भारत सरकार को अचानक आयातित मानवीय पूँजी-नीति-शिफ्ट का सामना करने के लिये कदम उठाने की आवश्यकता होगी — जैसे घरेलू प्रतिभा को बनाए रखने के लिये पहल, शोध-फंडिंग, स्टार्ट-अप-वित्त पोषण और आसान कार्य-वीज़ा नीति।
विशेषज्ञों का संतुलित परामर्श
छात्रों के लिये: विकल्पों की विविधता पर ध्यान दें — घरेलू कंपनियों में करियर, रिमोट/हाइब्रिड ऑनशोर-ऑफ़शोर रोल, या उन देशों की वीज़ा-नीतियाँ जिनमें आकर्षक अवसर हों।
कंपनियों के लिये: त्वरित रूप से कॉर्पोरेट-रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करें; लॉन्ग-टर्म-टैलेन्ट-प्लान, ऑफशोर-इंजीनियरिंग-हब और लोकल-हायरिंग पर फोकस जरूरी होगा।
सरकार के लिये: R&D पर निवेश, उद्योग-अकादमिक गठजोड़ और स्टार्ट-अप-इकोसिस्टम को सब्सिडी/प्रोत्साहन देकर घरेलू अवसर बनाये जाने चाहिये।
संकट में अवसर भी
अमेरिकी H-1B फीस वृद्धि भारतीय पेशेवरों और आईटी-कॉर्पोरेट्स के लिये तत्काल चुनौती है — यह ऑनसाइट मॉडल को महंगा बना देगी और वैश्विक टैलेंट-शिफ्ट तेज़ कर सकती है। दूसरी ओर, यह भारतीय आंतरिक अर्थव्यवस्था, शोध और स्टार्ट-अप-क्षेत्र के लिये एक अवसर भी पैदा कर सकती है — बशर्ते नीति-निर्माताओं और उद्योग ने तेजी से अनुकूल रणनीतियाँ अपनायीं।