बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मोकामा से जुड़ा एक बड़ा राजनीतिक विवाद सुर्खियों में आ गया है। केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के विवादित बयान वाले वीडियो की जांच के बाद अब चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ केस दर्ज करा दिया है। यह कार्रवाई आयोग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच और जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर हुई है।
जांच के बाद आयोग की बड़ी कार्रवाई
चुनाव आयोग ने कहा है कि जिला प्रशासन, पटना द्वारा गठित वीडियो निगरानी टीम ने वायरल वीडियो की बारीकी से जांच की। फुटेज और ऑडियो के विश्लेषण के बाद यह पाया गया कि वीडियो में दिए गए बयान चुनावी आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन कर सकते हैं। आयोग ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।
वीडियो पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया
विवाद की शुरुआत तब हुई जब ललन सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में वह मोकामा की एक सभा में लोगों से कहते सुने गए,
“आप सब लोग कमान संभाल लीजिए। एक-दो नेता हैं, उनको घर से निकलने मत दीजिए, घर में ही पैक कर दीजिए। अगर बहुत हाथ-पैर जोड़ें तो अपने साथ ले जाकर वोट करवा दीजिए, फिर घर बैठा दीजिए।”
इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने जोरदार हमला बोला। आरजेडी (RJD) ने इस वीडियो को अपने आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर साझा करते हुए आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री गरीबों और कमजोर तबके के मतदाताओं को वोटिंग से रोकने की बात कर रहे हैं। पार्टी ने इसे लोकतंत्र और मताधिकार का खुला अपमान बताया और चुनाव आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग की।
चुनाव आयोग की सक्रियता और नोटिस
वीडियो वायरल होने के बाद विपक्ष की आपत्तियों को देखते हुए चुनाव आयोग ने तुरंत संज्ञान लिया और ललन सिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। आयोग ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी सार्वजनिक प्रतिनिधि यदि मतदाताओं को डराने-धमकाने या मतदान में बाधा डालने का प्रयास करता है, तो यह आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन है।
जेडीयू का पलटवार — “वीडियो एडिटेड है”
वहीं दूसरी ओर जेडीयू (JDU) ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है। पार्टी ने कहा कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है, वह एडिटेड और भ्रामक है। जेडीयू नेताओं का कहना है कि ललन सिंह के बयान को संदर्भ से काटकर पेश किया गया ताकि राजनीतिक लाभ उठाया जा सके। पार्टी ने दावा किया कि केंद्रीय मंत्री ने अपने भाषण में किसी भी समुदाय या व्यक्ति को वोट डालने से रोकने की बात नहीं कही थी, बल्कि कार्यकर्ताओं से चुनावी रणनीति पर चर्चा कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह चुनाव आयोग की छाती पर बुलडोज़र चढ़ाते हुए कह रहे कि गरीबों को वोटिंग के दिन घर से निकलने नहीं देना है! घर में बंद कर देना है, अगर ज्यादा हाथ पैर जोड़ेगा तो अपने साथ ले जा कर वोट गिराने देना है।कहाँ है मरा हुआ आयोग? pic.twitter.com/BQRMQpAW3H
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) November 4, 2025
मामला कैसे शुरू हुआ
मोकामा से जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह को कुछ दिन पहले दुलारचंद हत्याकांड मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह पटना जेल में बंद हैं। उनकी अनुपस्थिति में चुनाव प्रचार की कमान पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने संभाली, जिनमें ललन सिंह और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी शामिल थे। इसी दौरान यह बयान सामने आया, जिसने पूरे राजनीतिक माहौल को गरमा दिया।
राजनीतिक हलचल और आगे की कार्रवाई
इस घटना के बाद बिहार की सियासत एक बार फिर गरम हो गई है। आरजेडी समेत कई विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला करार दिया है, जबकि एनडीए घटक दल इसको विपक्ष की साजिश बता रहे हैं।
अब जब जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है, तो मामले में कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी। जिला प्रशासन और चुनाव आयोग दोनों ने स्पष्ट किया है कि यदि बयान को चुनावी अपराध की श्रेणी में पाया गया, तो आगे कानूनी अभियोजन की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला न केवल मोकामा सीट, बल्कि पूरे बिहार चुनाव अभियान की दिशा को प्रभावित कर सकता है। आयोग की सख्ती ने यह भी संकेत दिया है कि किसी भी उम्मीदवार या पार्टी को आचार संहिता उल्लंघन पर अब राहत नहीं मिलेगी।














