Thursday, October 30, 2025
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कांग्रेस ने हरियाणा में बड़ा फेरबदल: राव नरेंद्र सिंह प्रदेश अध्यक्ष, भूपेंद्र सिंह हुड्डा CLP लीडर बने

कांग्रेस ने हरियाणा में संगठनात्मक बदलाव कर राव नरेंद्र सिंह (Rao Narender/Rao Narendra Singh) को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष नामित किया और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल (CLP) का नेता नियुक्त किया — जिसे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मंज़ूरी मिली। यह फैसला विधानसभा चुनाव में मिली हार के लगभग 10 माह बाद आया है।

त्वरित सार (Quick facts)

नया HPCC अध्यक्ष: राव नरेंद्र सिंह (पूर्व मंत्री)।

कांग्रेस विधायक दल का नेता: भूपेंद्र सिंह हुड्डा (पूर्व मुख्यमंत्री)।

हाईकमान की मंज़ूरी: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नियुक्तियों को अनुमोदित किया।

क्या बदला और क्यों अहम है

पार्टी का यह कदम सिर्फ पद बदलने जैसा नहीं— बल्कि राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर लिया गया रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर खासकर दक्षिणी हरियाणा में ओबीसी/अहीर-समर्थक वोट बैंक को साधने की कोशिश है, जबकि हुड्डा की वापसी से विधानसभा में नेतृत्व और विपक्ष के मोर्चे पर अनुभवी चेहरा मिल गया है।

पिछले एक साल का संदर्भ

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था और लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष व CLP नेता के पदों पर स्थायी निर्णय टलता रहा। अब इन नियुक्तियों के बाद पार्टी अपना संगठन फिर से सक्रिय करने और चुनावी रणनीति बनाना शुरू करेगी।

निर्वाचन-भौगोलिक मतलब (राजनीतिक असर)

विशेष रूप से दक्षिणी हरियाणा (महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम आदि)—जो कथित तौर पर अहीर/यादव सांप्रदायिक प्रभाव वाले क्षेत्र हैं—पर कांग्रेस की नजर है। इस इलाके की 11 विधानसभा सीटें हैं और पिछले चुनावों में भाजपा की बलवती उपस्थिति रही; कांग्रेस की रणनीति इन्हीं जिलों में जनाधार बढ़ाने पर केंद्रित दिखाई देती है।

संगठनात्मक निहितार्थ

प्रदेश अध्यक्ष के रूप में राव नरेंद्र सिंह का कार्यकाल संगठन को ज़मीन पर सक्रिय करने, booth-level संगठन मजबूत करने और स्थानीय नेतृत्व को समेटने में महत्वपूर्ण होगा।

हुड्डा के विधायक दल नेता बनने से विधानसभा स्तर पर विपक्ष के लिए अनुभव व रणनीतिक नेतृत्व मिलेगा — खासकर सरकार पर एजेंडा चलाने और लोकल मुद्दों को हाईलाइट करने में।

चुनौतियाँ व आगे का रास्ता

1.सामूहिक एकजुटता: हरियाणा कांग्रेस के भीतर कई गुट मौजूद हैं; हाईकमान को ये सुनिश्चित करना होगा कि निर्णयों के बाद अंदरूनी मतभेद शांत हों और एक साझा रणनीति बने।

2.भूकम्पी चुनावी गणित: ओबीसी/यादव/अहीर वोट बैंको को लामबंद करने के साथ-साथ जाट, अन्य पिछड़े व दलित वोटों का संतुलन भी बनाना होगा — यह आसान नहीं।

3.जमीनी संगठन: केवल नेतृत्व बदलने से काम नहीं चलेगा; booth-level संगठन, कार्यकर्ता प्रोत्साहन और स्थानीय मुद्दों पर तेज सक्रियता जरूरी होगी।

कांग्रेस का यह कदम रणनीतिक और समयानुकूल दिखता है — हाईकमान ने अनुभवी नेतृत्व (हुड्डा) और क्षेत्रीय/सामाजिक संतुलन (राव नरेंद्र सिंह) दोनों का सम्मिश्रण किया है। पर यह तब तक असर दिखाने में सीमित रहेगा जब तक पार्टी संगठनात्मक मजबूती, एकजुटता और स्थानीय पॉलिटिकल मैनेजमेंट में ठोस काम नहीं करती।

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