भारतीय विमानन गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (DGAQA) ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की नासिक डिवीजन में तैयार स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस Mk-1A को उड़ान की आधिकारिक अनुमति दे दी है। यह महत्वपूर्ण मंजूरी सोमवार, 11 अगस्त को नासिक में दी गई, जो भारत में विमान निर्माण के विकेंद्रीकरण और रक्षा उत्पादन क्षमता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
इस अवसर पर अतिरिक्त महानिदेशक (AQA) ने उड़ान मंजूरी दस्तावेज HAL नासिक प्रभाग के कार्यकारी निदेशक को सौंपा। अपने लंबे अनुभव और उपलब्धियों के कारण नासिक पहले से ही लड़ाकू विमानों के निर्माण और रखरखाव में अग्रणी रहा है, और अब यह स्वदेशी फाइटर जेट उत्पादन का भी अहम केंद्र बन गया है।
नासिक: तेजस उत्पादन की नई मंज़िल
तेजस का निर्माण अब नासिक में शुरू होने के साथ ही बेंगलुरु और एक अन्य स्थान के बाद यह तीसरा उत्पादन केंद्र बन गया है। इससे भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं को समय पर पूरा करने, उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में बड़ी मदद मिलेगी। नासिक का विमानन इतिहास और HAL की विशेषज्ञता इस प्रोजेक्ट को और भी मज़बूती प्रदान कर रहे हैं।
5,000 से अधिक पुर्जों की सटीक तैयारियां
उड़ान मंजूरी से पहले HAL नासिक टीम ने 5,000 से अधिक उच्च-प्रेसिजन पुर्जे तैयार किए, सभी सिस्टम की गहन जांच की और सभी ग्राउंड टेस्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया। चौबीसों घंटे कार्य कर टीम ने सुनिश्चित किया कि विमान पहली ही कोशिश में उड़ान के लिए तैयार हो। यह भारत की बढ़ती सैन्य आत्मनिर्भरता और तकनीकी श्रेष्ठता का स्पष्ट प्रमाण है।
भारत में डिजाइन, भारत में विकास
तेजस Mk-1A पूरी तरह भारत में डिजाइन और विकसित किया गया एडवांस 4.5 जेनरेशन मल्टीरोल फाइटर जेट है। मौजूदा Mk-1 के मुकाबले इसमें लगभग 40 बड़े अपग्रेड किए गए हैं। इनमें स्वदेशी AESA रडार, अस्त्र एयर-टू-एयर मिसाइल इंटीग्रेशन, डिजिटल युद्ध प्रबंधन प्रणाली और कई नई एवियोनिक्स क्षमताएँ शामिल हैं। इस संस्करण में कई विदेशी तकनीकों को स्वदेशी अपग्रेड से बदला गया है, जिससे यह न केवल अधिक सक्षम बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अधिक सुरक्षित बन गया है।
सामरिक मजबूती की ओर एक और कदम
तेजस Mk-1A का नासिक में उत्पादन शुरू होना न केवल वायुसेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी नई रफ्तार देगा। यह कदम भारत को रक्षा उत्पादन में वैश्विक स्तर पर एक भरोसेमंद शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।