Tuesday, July 1, 2025
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दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को मिली पैरोल, चुनाव प्रचार से बीजेपी को फायदा?

Tahir Hussain, Accused in Delhi Riots, Granted Parole; दिल्ली की मुस्तफाबाद सीट पर सियासी हलचल तेज हो गई है। दंगे के आरोपी और एआईएमआईएम के उम्मीदवार ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से 72 घंटे की पैरोल मिली है, जिसके तहत वे चुनाव प्रचार कर सकेंगे। 2020 से जेल में बंद ताहिर हुसैन इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट मुस्लिम बहुल है और हमेशा से चुनाव परिणामों को लेकर चर्चा में रही है।

मुस्तफाबाद का जातीय समीकरण

मुस्तफाबाद सीट का परिसीमन 2008 में हुआ था। यहां की 39% आबादी मुस्लिम है, जबकि 61% हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय हैं। हिंदुओं में अति पिछड़ा, ब्राह्मण और ठाकुर समुदाय के सबसे ज्यादा वोट हैं। ब्राह्मण करीब 12%, जाट-गुर्जर 6%, और वैश्य समुदाय की भी अच्छी खासी उपस्थिति है।

ताहिर की पैरोल और बीजेपी को संभावित फायदा

  1. मुस्लिम वोटों का बंटवारा
    इस बार मुस्तफाबाद सीट पर तीन मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी ने आदिल अहमद को, कांग्रेस ने अली मेहदी को और एआईएमआईएम ने ताहिर हुसैन को टिकट दिया है। ताहिर का स्थानीय स्तर पर खासा प्रभाव है, लेकिन तीनों उम्मीदवारों के चलते मुस्लिम वोट बंटने की पूरी संभावना है। इस स्थिति में सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
  2. बीजेपी का इतिहास
    मुस्तफाबाद सीट पर 2015 की आम आदमी पार्टी की लहर के बावजूद बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। उस समय जगदीश प्रधान ने आम आदमी पार्टी के हसन अहमद को 6,031 वोटों से हराया था। ताहिर के प्रचार में उतरने से बीजेपी को एक बार फिर उसी नतीजे की उम्मीद है।
  3. धार्मिक ध्रुवीकरण का मौका
    ताहिर की पैरोल के बाद AIMIM मुखर होकर प्रचार कर रही है, जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। यदि ताहिर सहानुभूति बटोरने में सफल रहते हैं और ओवैसी धार्मिक मुद्दों को लेकर और मुखर होते हैं, तो इससे हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है, जिसका सीधा लाभ बीजेपी को मिल सकता है।

ताहिर हुसैन का विवादित इतिहास

ताहिर हुसैन उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं और 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए। उन पर साजिश रचने, दंगे भड़काने, और हिंसा को बढ़ावा देने के आरोप हैं। उनके खिलाफ यूएपीए और आईपीसी की कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। जेल जाने से पहले वे वार्ड पार्षद थे।

नतीजों पर निगाहें

मुस्तफाबाद सीट पर चुनावी गणित बेहद जटिल है। ताहिर की मौजूदगी और पैरोल से सियासी समीकरण तेजी से बदल सकते हैं। अगर मुस्लिम वोट बंटता है और हिंदू वोट ध्रुवीकृत होते हैं, तो बीजेपी के लिए यह सीट जीतने का सुनहरा मौका बन सकती है।

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