नई दिल्ली — पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश हुए और उनसे करीब नौ घंटे तक पूछताछ की गई। अधिकारियों ने बताया कि रैना को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत 1xBet नामक कथित अवैध सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े संभावित धन प्रवाह और प्रचार-भागीदारी संबंधी पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
ईडी सूत्रों के मुताबिक़, जांचकर्ता यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि रैना का 1xBet से क्या संबंध था — क्या वे किसी विज्ञापन या प्रचार के माध्यम से इस ऐप से जुड़े थे और यदि जुड़े हैं तो किस प्रकार के लेन-देन हुए। पूछताछ के दौरान रैना का बयान दर्ज किया गया है और अब एजेंसी उनके दावे व प्रस्तुत दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है।
क्या है मामला — 1xBet और व्यापक जाँच अभियान
ED ने बताया है कि 1xBet सहित कई सट्टेबाजी/गेमिंग ऐप्स की जांच की जा रही है — इन प्लेटफ़ॉर्मों पर निवेशकों और उपयोगकर्ताओं को लक्षित कर करोड़ों रुपये की ठगी व अवैध वित्तीय लेन-देन के आरोप लगे हैं। एजेंसी का कहना है कि ऐसे मामलों में धन अक्सर शेल कंपनियों, विदेशी खातों और डिजिटल वॉलेट के माध्यम से छिपाया जाता है, इसलिए प्रमोटरों, संचालकों और विज्ञापन में जुड़े लोगों, तीनों पर जांच चल रही है।
सूत्रों के अनुसार, 1xBet जांच एक राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा है — पिछले कुछ महीनों में इसी सिलसिले में कई प्रभावशाली व्यक्तियों और मशहूर हस्तियों से भी पूछताछ की जा चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि एजेंसी संचालकों के साथ-साथ किसी भी तरह के प्रचार-समर्थन में शामिल लोगों के कनेक्शन की भी तह में जा रही है।
रैना की पृष्ठभूमि और आगे क्या होगा
38 वर्षीय रैना ने 2020 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया था। इसके बाद वे कमेंट्री, कोचिंग और विज्ञापन सहित खेल से जुड़े विभिन्न कार्यों में सक्रिय रहे हैं। ED ने फिलहाल यह नहीं बताया है कि रैना को बाद में फिर बुलाया जाएगा या उनके खिलाफ किसी प्रकार की प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जाएगी — एजेंसी ने कहा है कि पूछताछ के बाद अब उनके बयान और उपलब्ध साक्ष्यों का विश्लेषण किया जाएगा और उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।
अधिकारी क्या कहते हैं
एक जांच अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, “हम प्रमोटरों और संचालकों दोनों पर ध्यान दे रहे हैं; विज्ञापन या प्रचार से जुड़े किसी भी व्यक्ति की भूमिका की गहन जाँच की जा रही है।” एजेंसी आगे के सबूतों और डिजिटल-फोरेंसिक जांच के आधार पर फंड-फ्लो की मुहरबंदी कर सकती है तथा आवश्यकतानुसार संपत्ति अटैचमेंट या और विभागीय कार्रवाइयाँ भी कर सकती है।