
नई दिल्ली (Aadhaar Card Latest Updates): सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि आधार कार्ड पर लिखी जन्म तिथि को किसी व्यक्ति की उम्र का प्रमाण नहीं माना जा सकता। देश की सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया कि उम्र के निर्धारण के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं है।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की उम्र का निर्धारण स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र (एसएलसी) में दी गई जन्म तिथि के आधार पर होना चाहिए। यह फैसला एक सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति के परिवार को मुआवजे से जुड़े मामले में आया है।
मामला पहले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में आया था, जहां हाई कोर्ट ने आधार कार्ड पर दर्ज जन्म तिथि को सही मानते हुए मुआवजे का आदेश दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को पलटते हुए कहा कि उम्र का निर्धारण एसएलसी के आधार पर किया जाना चाहिए।
मुआवजे में हुआ बड़ा अंतर
2015 में हुई इस सड़क दुर्घटना के लिए पीड़ित परिवार ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) में मुआवजे की मांग की थी, जिसने एसएलसी के आधार पर 19.35 लाख रुपए का मुआवजा निर्धारित किया था। बाद में बीमा कंपनी ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जहां आधार कार्ड पर दर्ज उम्र के आधार पर मुआवजा घटाकर 9.22 लाख रुपए कर दिया गया था।
अब सुप्रीम कोर्ट ने एमएसीटी के फैसले को बहाल करते हुए परिवार को 19.35 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। आधार कार्ड के हिसाब से मृतक की उम्र 47 वर्ष थी, जबकि एसएलसी के अनुसार उनकी उम्र 45 वर्ष पाई गई।