दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पेट्रोल-डीजल से चलने वाले बड़े लग्जरी वाहनों पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि अब बाज़ार में बड़े आकार के इलेक्ट्रिक वाहन आसानी से उपलब्ध हैं, इसलिए समान श्रेणी के ICE (Internal Combustion Engine) वाहनों को धीरे-धीरे हटाया जा सकता है।
गुरुवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ सरकार की उन नीतियों पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की मांग की गई है।
VIP और कॉरपोरेट सेक्टर पहले से अपना रहे हैं EV
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि आज कई VIP और बड़ी कंपनियाँ बड़े आकार के इलेक्ट्रिक वाहन इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में सबसे पहले महंगे पेट्रोल-डीजल वाहनों पर रोक लगाने पर विचार किया जा सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कदम का आम जनता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि महंगी लग्जरी कारें केवल आबादी के एक छोटे हिस्से की पहुँच में हैं।
EV नीति की समीक्षा की आवश्यकता
पीठ ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार की मौजूदा EV नीति को लागू हुए लगभग पाँच वर्ष हो चुके हैं, इसलिए इसकी पुनः समीक्षा की जानी चाहिए।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने बताया कि अब तक जारी अधिसूचनाओं का एक विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जाएगी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद तय की है।
सरकार बोली—SC का सुझाव स्वागत योग्य
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव से सहमति जताते हुए कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। सरकार इस दिशा में लगातार बैठकों और चर्चाओं के बाद एक व्यापक नीति रूपरेखा तैयार करने पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सुझावों पर गंभीरता से विचार कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।














