Tuesday, July 1, 2025
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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की गंभीर टिप्पणी: सरकार को 7 दिन की मोहलत, वक्फ संपत्तियों में यथास्थिति बरकरार

 Supreme Court Hearing on Waqf Act : वक्फ अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 73 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

पीठ ने यह स्पष्ट किया है कि तब तक वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, और न ही वक्फ बोर्ड या परिषदों में कोई नई नियुक्ति की जाएगी।

कोर्ट ने केंद्र से पूछा — “क्या हिंदू ट्रस्ट में मुसलमानों की नियुक्ति संभव है?”

बुधवार को हुई सुनवाई में पीठ ने केंद्र द्वारा वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को नियुक्त करने के फैसले पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा,
“क्या सरकार हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए भी तैयार है?”

वकीलों की फौज: दोनों पक्षों की ओर से दिग्गज वकील मैदान में

  • केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी।
  • जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्तागण कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सी. यू. सिंह कोर्ट में उपस्थित रहे।

तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा और यह आश्वासन दिया कि तब तक किसी वक्फ संपत्ति में कोई छेड़छाड़ नहीं होगी, न ही कोई नई अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा,
“हम कुछ सेक्शन पर रोक नहीं चाहते, लेकिन कोर्ट अगर अंतरिम आदेश देना चाहता है तो सरकार पूरी संवैधानिक गंभीरता से इसका सम्मान करेगी।”

CJI संजीव खन्ना की सख्त टिप्पणी:

“हम एक्ट पर पूर्ण रोक नहीं लगा रहे हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए, ताकि किसी पक्ष को असमान नुकसान न हो।”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में केवल 5 रिट याचिकाकर्ता ही उपस्थित रहेंगे, ताकि सुनवाई सुगम हो सके। बाकी याचिकाएं या तो निपटा दी जाएंगी या उन्हें आवेदन मानकर दर्ज किया जाएगा।

ओवैसी की प्रतिक्रिया: “यह हमारे संवैधानिक अधिकारों पर हमला है”

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“मैं संसद की JPC में था और मैंने इस बिल का विरोध किया था। वक्फ कानून हमारे संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए बना है। इसे सीमित करने की कोशिश हमारे धार्मिक अधिकारों पर सीधा हमला है। हम आगे भी इसका डटकर विरोध करते रहेंगे।”

सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई न केवल वक्फ अधिनियम के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत में धार्मिक संस्थाओं की संरचना और उनके अधिकारों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। 5 मई की अगली सुनवाई पर पूरे देश की नजर टिकी रहेगी।


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