दिल्ली के बुराड़ी इलाके में हुए क्लाउड सीडिंग के सफल ट्रायल के बाद राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार को लेकर सियासत तेज़ हो गई है।
राज्य के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दावा किया है कि दिल्ली की हवा अब हर बीतते दिन के साथ साफ होती जा रही है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) ने सरकार के इस दावे और क्लाउड सीडिंग ट्रायल की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं।
सरकार का दावा — “हर दिन साफ हो रही है दिल्ली की हवा”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने लिखा,
“शुक्रवार शाम 3 बजे दिल्ली का AQI 278 दर्ज किया गया, जो यह दिखाता है कि हमारी सरकार के प्रयासों का असर दिखने लगा है। राजधानी की हवा हर बीतते दिन के साथ साफ हो रही है।”
उन्होंने कहा कि यह सुधार दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता और लगातार किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है।
सिरसा ने बताया कि दिल्ली सरकार के Winter Plan के तहत
376 एंटी-स्मॉग गन,
266 वॉटर स्प्रिंकलर,
91 मैकेनिकल रोड स्वीपर,
2000 इलेक्ट्रिक बसें, और
2000 से अधिक टीमें
प्रदूषण कम करने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार साफ हवा और स्वस्थ वातावरण देने के लिए संकल्पित है। सिरसा ने आगे कहा,
“आगामी क्लाउड सीडिंग यह साबित करेगी कि इनोवेशन ही प्रदूषण नियंत्रण का असली समाधान है।”
AAP का पलटवार — “सरकार सोती रही, अब बना रही है बहाने”
वहीं AAP नेता गोपाल राय ने सरकार के दावों को खारिज करते हुए कहा कि राजधानी में प्रदूषण की स्थिति “गंभीर” है और हालात और बिगड़ सकते हैं।
राय ने आरोप लगाया,
“दिल्ली के ज्यादातर इलाके रेड जोन में जा चुके हैं। बीजेपी सरकार के पर्यावरण मंत्री केवल बहाने बना रहे हैं। दिल्ली के आसपास सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार है, लेकिन किसी से समन्वय नहीं किया गया। सरकार पहले सोती रही और अब आनन-फानन में Winter Action Plan बना दिया, जिसमें कई प्रदूषण हॉटस्पॉट्स को शामिल ही नहीं किया गया।”
उन्होंने कहा कि सरकार को बयानबाज़ी की जगह ज़मीनी स्तर पर ठोस काम करने की ज़रूरत है ताकि राजधानी की हवा वास्तव में सुधर सके।
पृष्ठभूमि
बता दें कि दिल्ली में पहली बार बड़े पैमाने पर क्लाउड सीडिंग तकनीक का ट्रायल किया गया है, जिसका उद्देश्य कृत्रिम वर्षा के ज़रिए वायु प्रदूषण को कम करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो आने वाले समय में इसे प्रदूषण से जूझ रहे अन्य इलाकों में भी लागू किया जा सकता है।














