प्राथमिक विद्यालय बिसरख में ईएमसीटी द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
बिसरख, ग्रेटर नोएडा।
जल ही जीवन है — इसी विचार को केंद्र में रखते हुए प्राथमिक विद्यालय बिसरख में जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सराहनीय पहल की अगुवाई सामाजिक संस्था ईथोमार्ट चैरिटेबल ट्रस्ट (EMCT) ने की, जिसमें विद्यालय के बच्चों को जल बचाने की शपथ दिलाई गई।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानाचार्य महोदय के प्रेरक वक्तव्य से हुई। उन्होंने बच्चों को बताया कि “जल संकट सिर्फ भावी पीढ़ियों की समस्या नहीं, बल्कि आज की ज़िम्मेदारी है।” उन्होंने छात्रों को न केवल जल की महत्ता समझाई, बल्कि उन्हें संकल्प दिलाया कि वे जीवन भर जल की एक-एक बूंद की कद्र करेंगे।
वर्षा जल संचयन को समझा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से
इस अवसर पर उपस्थित जल विशेषज्ञ मनीष श्रीवास्तव ने वर्षा जल संचयन की प्रक्रिया को बच्चों की भाषा में सहज रूप से समझाया। उन्होंने बताया कि बारिश का पानी कैसे सीधे ज़मीन में जाकर भूजल स्तर को बढ़ा सकता है, और छतों से गिरने वाले पानी को सहेजने के घरेलू उपाय भी साझा किए।
हर बूंद है अमूल्य: अनुप सोनी
सामाजिक कार्यकर्ता अनुप सोनी ने बच्चों को पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा—
“हमें यह समझना होगा कि हर बूंद अनमोल है। यदि आज हमने जल की कद्र नहीं की, तो कल हमारी पीढ़ी प्यासे भविष्य के हवाले होगी।”
हर बूँद कीमती है!
प्रा. वि. बिसरख में EMCT (Ethomart Charitable Trust) द्वारा जल संरक्षण व वर्षा जल संचयन पर विशेष कार्यक्रम।
बच्चों ने ली शपथ—“जल बचाना सिर्फ़ ज़िम्मेदारी नहीं, संस्कार है।”@rashmip1 #SaveWater #RainwaterHarvesting #जल_संरक्षण #EMCT #BachpanSeSanskriti pic.twitter.com/bvkRtcFfrv
— PARDAPHAAS NEWS (@pardaphaas) July 20, 2025
जल संरक्षण है संस्कार: रश्मि पाण्डेय
ईएमसीटी की संस्थापक और पर्यावरण कार्यकर्ता रश्मि पाण्डेय ने अपने विचार साझा करते हुए कहा—
“जल बचाना कोई विकल्प नहीं, यह एक संस्कार है। बच्चों में जब से यह समझ विकसित होगी, तभी हम एक स्थायी और संवेदनशील समाज की कल्पना कर सकेंगे।”
बच्चों की भागीदारी बनी कार्यक्रम की आत्मा
कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने रंगोली, पोस्टर और भाषण के माध्यम से जल संरक्षण पर अपने विचार प्रस्तुत किए। बच्चों के उत्साह और प्रतिबद्धता ने यह सिद्ध किया कि देश का भविष्य जागरूक हाथों में है।
यह पहल न केवल बच्चों के लिए एक शिक्षाप्रद अनुभव रही, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा बनकर सामने आई कि छोटे प्रयासों से भी बड़े बदलाव की नींव रखी जा सकती है।