
नई दिल्ली:15 फरवरी की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से कम से कम 18 लोगों की जान चली गई। हादसा तब हुआ जब प्रयागराज में महाकुंभ जाने के लिए प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर हजारों यात्री एक साथ ट्रेन पकड़ने के लिए उमड़ पड़े। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि अफरा-तफरी के माहौल में कई लोग कुचले गए और मौके पर ही दम तोड़ दिया।
इस दर्दनाक हादसे के बाद रेलवे प्रशासन की बदइंतजामी पर सवाल उठने लगे। कई यात्रियों ने अपनी ट्रेन छूटने और टिकट का रिफंड न मिलने की शिकायत की। इसी को लेकर कुछ लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की, जिसमें टिकट रिफंड और यात्री प्रबंधन में सुधार की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने रिफंड मांगने वालों को दिया झटका
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने स्पष्ट किया कि टिकट रिफंड या ट्रेन छूटने का मामला “व्यक्तिगत नुकसान” की श्रेणी में आता है, न कि जनहित का मुद्दा। कोर्ट ने कहा, “हम आपको इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देंगे। यह जनहित याचिका नहीं, बल्कि व्यक्तिगत मामला है। आप कानून के तहत उचित उपाय अपनाएं।”
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि यात्रियों ने टिकट के रिफंड के लिए रेलवे से संपर्क किया था, लेकिन उनका अनुरोध खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने इस पर कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो मुआवजे के लिए अलग से मुकदमा दायर कर सकते हैं, लेकिन इस जनहित याचिका में उनकी कोई भूमिका नहीं बनती।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
इस भगदड़ ने रेलवे और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। याचिकाकर्ता “अर्थ विधि” ने कोर्ट में दायर अपनी जनहित याचिका में कहा कि यह हादसा प्रशासनिक कुप्रबंधन और विफल यात्री प्रबंधन का नतीजा था। कोर्ट ने पहले ही रेलवे से टिकट बिक्री और प्लेटफॉर्म पर अधिकतम यात्रियों की सीमा तय करने पर जवाब मांगा था।
रेलवे से मांगा गया हलफनामा
हाईकोर्ट ने रेलवे को निर्देश दिया है कि वह 19 फरवरी तक इस मामले में अपना हलफनामा दाखिल करे और बताए कि यात्री सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं।
यात्रियों में गुस्सा, लेकिन जिम्मेदार कौन?
इस हादसे के बाद यात्रियों में नाराजगी है। भगदड़ से बचे यात्रियों का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन 18 मौतों का जिम्मेदार कौन है? क्या रेलवे अपनी नाकामी से बचने की कोशिश कर रहा है, या फिर यात्रियों को ही उनकी तकदीर के हवाले छोड़ दिया गया है?

VIKAS TRIPATHI
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