चेन्नई: तमिलनाडु के करूर में अभिनेता-से-राजनीतिज्ञ विजय की रैली में हुई भगदड़ में 41 लोगों की दर्दनाक मौत को दो हफ़्ते से ज़्यादा समय बीत चुका है, लेकिन इस पूरे विवाद के केंद्र में रहे विजय अब तक खामोश हैं।यह चुप्पी तमिलनाडु की राजनीति में कई नए सवाल खड़े कर रही है।हाल ही में, जब सुप्रीम कोर्ट ने डीएमके सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय जांच आयोग को खारिज कर दिया और मामला सीबीआई को सौंप दिया, तब भी विजय ने केवल इतना कहा —
“सत्य की जीत होगी।”
विजय का यह संयमित और सीमित बयान भाजपा और अन्नाद्रमुक नेताओं की कड़ी प्रतिक्रियाओं से बिल्कुल अलग था। भाजपा और एआईएडीएमके नेताओं ने आरोप लगाया था कि तमिलनाडु पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं होगी और पीड़ित परिवारों को न्याय केवल केंद्रीय जांच से ही मिलेगा।
सीबीआई जांच पर गरमाई सियासत
सीबीआई जांच के आदेश के बाद, द्रमुक और उसके सहयोगी दलों ने इस फैसले को तमिऴगा वेत्री कझगम (TVK) का “भाजपा के सामने आत्मसमर्पण” बताया।
उनका कहना है कि यह कदम विजय के 2026 विधानसभा चुनावों से पहले एनडीए में शामिल होने की दिशा में एक संकेत है।
वहीं, एआईएडीएमके चाहती है कि विजय एनडीए के साथ जुड़ें, ताकि सरकार विरोधी मतों के बिखराव को रोका जा सके।
इसके उलट, डीएमके का मानना है कि विजय अगर अकेले चुनाव लड़ते हैं, तो विपक्षी वोटों का बँटवारा होगा और इसका फ़ायदा सत्तारूढ़ पार्टी को मिलेगा।
अभिनेता की चुप्पी और बढ़ते सवाल
विजय की लगातार चुप्पी ने इन अटकलों को और हवा दे दी है कि क्या वह अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता को छोड़कर एनडीए या एआईएडीएमके के साथ गठबंधन करेंगे?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विजय के सामने दो रास्ते हैं —
1.या तो 2026 के चुनावों में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़कर अपनी पार्टी TVK का संगठन मज़बूत करें,
2.या फिर गठबंधन कर डीएमके को सत्ता से बाहर करने की रणनीति अपनाएं।
भाजपा-एआईएडीएमके के संकेत और TVK का रुख
भाजपा और एआईएडीएमके दोनों ने सार्वजनिक रूप से विजय को अपने गठबंधन में शामिल करने की इच्छा जताई है।
उनका मानना है कि विजय की युवाओं में लोकप्रियता और सिनेमा जगत में उनका प्रभाव गठबंधन को बड़ा जनाधार दे सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि एआईएडीएमके के प्रचार अभियानों में अब TVK के झंडे दिखाई देने लगे हैं।
पार्टी महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने करूर हादसे पर विजय के प्रति समर्थन भी जताया है।
हालांकि, विजय की पार्टी TVK ने किसी भी गठबंधन की बातचीत से इनकार किया है।
पार्टी के प्रवक्ताओं का कहना है कि “यह गठबंधन की बातचीत का समय नहीं, बल्कि जनता के बीच जाकर संगठन मजबूत करने का वक्त है।”
विजय के रुख में बदलाव की संभावना
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही विजय का भाजपा गठबंधन में औपचारिक रूप से शामिल होना फिलहाल संदिग्ध है,लेकिन आने वाले समय में वह भाजपा और एआईएडीएमके पर सीधी आलोचना से बचेंगे,
और अपनी राजनीतिक तीक्ष्णता का निशाना डीएमके पर केंद्रित करेंगे।