नई दिल्ली / मुंबई — महाराष्ट्र से आए शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े 12 किलों के यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित होने और हाल में सम्पन्न “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी राष्ट्रीय उपलब्धियों पर सरकार को धन्यवाद दिया। सांसदों ने प्रधानमंत्री का मराठी परंपरा के अनुसार सत्कार भी किया — उन्हें पुणेरी पगड़ी पहनाकर और शिवाजी महाराज की एक मूर्ति भेंट कर आदर व्यक्त किया।
कौन मौजूद थे और क्या दिया गया तोहफा
प्रतिनिधिमंडल में शिवसेना के नेता डॉ. श्रीकांत शिंदे, प्रवक्ता व सांसद नरेश म्हस्के, सांसद श्रीरंग बारणे, धैर्यशील माने, रविंद्र वायकर, मिलिंद देओड़ा तथा केंद्रीय मंत्री प्रतापराव जाधव सहित अन्य सांसद शामिल थे। सांसदों ने प्रधानमंत्री को शिवाजी महाराज की मूर्ति और पुणेरी पगड़ी भेंट कर महाराष्ट्र की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप उन्हें सम्मानित किया। भेंट-प्रस्तुति के दौरान सांसदों ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि में प्रधानमंत्री की सक्रिय भूमिका के लिए विशेष धन्यवाद दिया।
यूनेस्को मान्यता — क्या और क्यों महत्वपूर्ण है
पेरिस में संपन्न 47वें विश्व धरोहर समिति सत्र में भारत की नामांकन सूची ‘Maratha Military Landscapes of India’ यानी मराठा सैन्य परिदृश्यों (12 किले) को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया — यह भारत की चौतरफा सांस्कृतिक उपलब्धि मानी जा रही है। इस संग्रह में महाराष्ट्र के 11 किले — साल्हेर, शिवनेरी, लोहगड, खांदेरी, रायगड, राजगड, प्रतापगड, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग — तथा तमिलनाडु का जिन्जी (गिंजी) किला शामिल हैं। यूनेस्को ने इन किलों को उनके रणनीतिक वास्तुशिल्प, भौगोलिक विविधताओं के साथ सामरिक नवाचार और ऐतिहासिक निरंतरता के लिए मान्यता दी है।
राजनीतिक और सांस्कृतिक निहितार्थ
यूनेस्को की यह मान्यता सिर्फ सांस्कृतिक उपलब्धि नहीं है — यह मराठा विरासत और महाराष्ट्र की पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करने जैसा संकेत भी है। राज्य-स्तरीय तथा राष्ट्रीय राजनैतिक दल इस उपलब्धि को क्षेत्रीय गौरव और राजनीतिक संदेश दोनों के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री और केंद्र दोनों ने पीएम मोदी को श्रेय दिया है, जबकि राजकीय नेताओं ने जनता में मराठी गौरव जगाने की अपील की।
पर्यटन, संरक्षण और अर्थव्यवस्था — दीर्घकालिक लाभ
विशेषज्ञों के अनुसार UNESCO टैग मिलने से इन किलों का संरक्षण और वैज्ञानिक अध्ययन बढ़ेगा; पर्यटन को नई पहचान मिलेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी। पहाड़ी-शिखरों से लेकर समुद्री चौकियों तक फैले ये किले मराठा सैन्य योजना और सामरिक सोच के जीते जागते साक्ष्य हैं — शोध, शैक्षणिक पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये युवा पीढ़ी में इतिहास के प्रति रुचि बढ़ेगी और आसपास के इलाकों में रोज़गार के अवसर बनेंगे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर धन्यवाद और वैश्विक आउटरीच-दौरों की जानकारी
प्रतिनिधिमंडल ने संसद में भारत की सुरक्षा और विदेश नीति-संदेश को मजबूती देने वाले हालिया कदमों का जिक्र करते हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर भी प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण रही क्योंकि ऑपरेशन-सिंदूर से जुड़े सभी-पक्षीय प्रतिनिधिमंडल हाल ही में विदेश दौरों पर गए थे और अब उनकी रिपोर्ट-ब्रीफिंग और अनुभव साझा करने के सिलसिले में प्रधानमंत्री से मुलाकातें हो रही हैं — केंद्र सरकार इन बैठकों को भारत के स्पष्ट-संदेश वाले वैश्विक आउटरीच के संदर्भ में दिखा रही है।
क्या आम जनता को नजर आएगा असर? — स्थानीय तत्परता और कदम
किले-समूह के यूनेस्को में शामिल होने के बाद राज्य व केंद्र स्तर पर संरक्षण योजनाएँ, सर्वे, अवैध अतिक्रमण हटाने तथा पर्यटन-इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए कार्ययोजनाएँ बनेंगी। प्रशासनिक हरी झंडी मिलने से जल्द ही संरक्षण वित्त, गाइड-प्रशिक्षण, डिजिटल विजिटर्स-कंटेंट और स्थानीय उद्यमियों के लिए स्कीमों का लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है — जिससे ग्रामीण और तटीय इलाकों में ठोस आर्थिक परिणाम दिख सकते हैं।
आलोचना और संवेदनशीलता — इतिहास, धर्म और राजनीति का संतुलन
ऐसे प्रतीकात्मक निर्णयों के राजनीतिक उपयोग पर विरोध-प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक है। कुछ आलोचक कहते आए हैं कि सांस्कृतिक उपलब्धियों को राजनीतिक एजेंडे के लिए ओवरलैप कर नहीं देना चाहिए; जबकि पक्षधर इसे राष्ट्रवादी गौरव और ऐतिहासिक संरक्षण का कारण मानते हैं। इसके साथ ही किलों के आसपास अतिक्रमण, संरक्षण की लागत और स्थानीय समुदायों की भागीदारी जैसे जटिल प्रश्नों का समाधान भी आवश्यक रहेगा।
यूनेस्को की मान्यता और ऑपरेशन-सिंदूर जैसी राष्ट्रीय घटनाओं पर सांसदों की पीएम से भेंट न सिर्फ सांस्कृतिक आभार व्यक्त करने का अवसर थी, बल्कि यह राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण संदेश है — राज्य की ऐतिहासिक धरोहर को वैश्विक मंच पर लाने और राष्ट्रीय सुरक्षा-संदेशों को एक साथ आगे बढ़ाने का भाव। आगे अब जिम्मेदारी स्थानीय संरक्षण, पारदर्शी योजनाओं और समुदाय-केंद्रित पर्यटन मॉडल को अमल में लाने की है।