
IBC महासचिव बोले – भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के मार्गदर्शन में हुआ ऐतिहासिक आयोजन
नई दिल्ली। भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष अपने एक महीने लंबे वियतनाम दौरे के बाद सोमवार रात भारत लौट आए। यह दौरा भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के सहयोग से आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य विश्वभर में भगवान बुद्ध के शांति, करुणा और अहिंसा के संदेश को फैलाना था।
IBC के महासचिव शार्त्से खेंसुर जंगचुप चोएडेन रिनपोछे ने बताया कि, “यह आयोजन भारत सरकार और IBC के मार्गदर्शन में किया गया। हमने इससे पहले भी मंगोलिया और थाईलैंड में पवित्र अवशेषों को प्रदर्शित किया है, और यह परंपरा बौद्ध श्रद्धा के वैश्विक विस्तार की पुष्टि करती है।”
वियतनाम में मिले अभूतपूर्व श्रद्धा के दर्शन
भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष 2 मई को उत्तर प्रदेश के सारनाथ से वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी पहुंचे थे। वहां से उन्होंने एक महीने तक नौ प्रमुख शहरों का दौरा किया, जहां उन्हें देखने और पूजा अर्पित करने के लिए 1.7 करोड़ (17 मिलियन) से अधिक श्रद्धालु एकत्र हुए। यह कार्यक्रम 21 मई को समाप्त होना था, लेकिन वियतनाम सरकार के विशेष आग्रह पर इसे 2 जून तक बढ़ा दिया गया, जो वहां की जनता की गहरी श्रद्धा और आध्यात्मिक उत्साह को दर्शाता है।

दिल्ली में विशेष प्रार्थना सभा और दर्शन
भारत लौटने के बाद आज (मंगलवार) को भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में सार्वजनिक दर्शन के लिए रखा गया है। इस अवसर पर एक विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया जिसमें भारत और विभिन्न देशों के वरिष्ठ भिक्षु, राजनयिक, संस्कृति मंत्रालय के अधिकारी और IBC के प्रतिनिधि शामिल हुए। यह सभा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
4 जून को सारनाथ में होगा औपचारिक स्थापना समारोह
इन अवशेषों की राजकीय प्रोटोकॉल के अंतर्गत राष्ट्रपति के काफिले के माध्यम से 4 जून को दिल्ली से वाराणसी ले जाने की योजना है। वहां से इन्हें सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार में औपचारिक रूप से स्थापित किया जाएगा। यह स्थापना बौद्ध समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को वैश्विक स्तर पर पुनः सुदृढ़ करने का प्रतीक बनेगा।
भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कूटनीति का प्रतीक

इस आयोजन ने भारत की आध्यात्मिक कूटनीति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। यह दौरा न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक रहा, बल्कि भारत-वियतनाम सांस्कृतिक संबंधों को भी गहराई प्रदान करने वाला ऐतिहासिक क्षण साबित हुआ।
मुख्य बिंदु (Highlights):
- भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का वियतनाम में एक महीने तक सफल प्रदर्शनी।
- 1.7 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन।
- 2 जून की रात को भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से भारत वापसी।
- आज दिल्ली में दर्शन और विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन।
- 4 जून को सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में स्थापना।
भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की यह वैश्विक यात्रा न केवल एक धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के दर्शन को भी मूर्त रूप देती है। इस प्रकार की पहलें भारत की धरोहर को वैश्विक मंच पर पहुंचाने का माध्यम बनती हैं।

VIKAS TRIPATHI
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