नई दिल्ली — राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भाजपा और खुद संघ के बीच चल रही ‘राष्ट्राध्यक्ष नियुक्ति’ तथा अन्य मसलों पर फैल रही तकरार की वे चर्चाएँ हल्की-फुलकी अफवाह करार दे दी हैं। संघ के वरिष्ठ नेता राम माधव ने एक साक्षात्कार में स्पष्ट कहा कि BJP और RSS एक ही वैचारिक परिवार के सदस्य हैं और दोनों के बीच कोई वास्तविक घर्षण नहीं है।
राम माधव का स्पष्ट संदेश
राम माधव ने कहा, “राजनीति और समाज सेवा — दोनों का अपना अलग क्षेत्र है। समय-समय पर कुछ बातें उछालकर यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि RSS और BJP में मनमुटाव है; यह पूरी तरह अफवाह है।” उन्होंने आगे कहा कि ऐसे दावे तब लक्षित किए जाते हैं जब मीडिया या राजनीतिक दलों के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं होता।
किस बारे में उठी थीं बातें?
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज थी कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर संघ और पार्टी के बीच सहमति नहीं बन पा रही — यही वजह बताकर कई तरह की रिपोर्टें आयीं। साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान — जिसमें उन्होंने राजनीति में 75 साल के मुद्दे का जिक्र किया था — को भी खटपट की वजह बताकर प्रसारित किया गया।
मौन से उठा ‘संदेश’ — मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण
राम माधव ने पीएम नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने संघ के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखकर संघ की सेवाभावी भूमिका की सराहना की — और इस संदेश ने कार्यकर्ताओं में सकारात्मक भाव पैदा किया है। माधव ने इसे दोनों संगठन के बीच सौहार्द का संकेत बताया।
राजनीतिक निहितार्थ व भविष्य
विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे दावे हमेशा संगठनात्मक सौहार्द, नेतृत्व चयन और सार्वजनिक संदेश के तालमेल पर असर डालते हैं। संघ की मान्यता साफ़ संकेत देती है कि नेतृत्व चयन व कार्यशैली से जुड़ी चर्चाओं को दोनों पक्ष मिलकर सुलझाना चाहेंगे ताकि बाहरी कयासों को हवा न मिले।
राम माधव के बयान ने फिलहाल उन अफवाहों पर विराम लगा दिया है जो भाजपा–RSS रिश्ते में दरार बताकर सुर्खियाँ बटोर रही थीं। दोनों संस्थाएँ आधिकारिक तौर पर इसे अनुचित कयास कह रही हैं और आगे भी संगठनात्मक एकता और समन्वय पर ज़ोर देने का संदेश दे रही हैं।