
नई दिल्ली – भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर पाकिस्तान की दोहरे मापदंडों वाली कूटनीति पर करारा प्रहार किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान की जीत का दावा करना उसकी पुरानी आदत है।
“चाहे वह 1971 की ऐतिहासिक हार हो, 1975 की तंगहाली या फिर 1999 का करगिल युद्ध, हर बार पाकिस्तान पराजित होकर भी ढोल बजाता है। हारने के बावजूद जश्न मनाने की आदत उसका पुराना रवैया है।”
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान खुद आया बातचीत की गुहार लगाने
जायसवाल ने यह बयान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तब दिया जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि भारत-पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता की पहल किसने की। इसके जवाब में उन्होंने साफ किया:
“ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को जबरदस्त नुकसान हुआ। उनके आतंकवादी ठिकाने तबाह कर दिए गए और सैकड़ों आतंकी मारे गए। इसके बाद 10 मई को पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO से संपर्क कर समय मांगा, और फिर सीजफायर पर बातचीत हुई।”
पाकिस्तान की पहल पर हुई सीजफायर बातचीत, व्यापार या कश्मीर पर नहीं हुआ कोई समझौता
रणधीर जायसवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि सीजफायर वार्ता पूरी तरह से पाकिस्तान की पहल पर हुई थी, भारत ने कोई पहल नहीं की थी। उन्होंने कहा:
“इस बातचीत में व्यापार या कश्मीर जैसे किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। सिर्फ सैन्य स्तर पर सीजफायर की बात की गई।”
कश्मीर पर भारत का रुख अटल – कोई तीसरा पक्ष नहीं
उन्होंने दो टूक कहा कि:
“कश्मीर पर भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता। यह केवल भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है और इस पर किसी बाहरी देश को दखल देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की पोल खुली, भारत का रुख स्पष्ट
ऑपरेशन सिंदूर के सफल अभियान ने पाकिस्तान की कथित “विजय” की पोल खोल दी है। रणधीर जायसवाल के इस बयान से साफ हो गया है कि जब-जब पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली, उसने कूटनीतिक भ्रम फैलाने की कोशिश की। पर इस बार भारत ने न सिर्फ सीमा पर जीत हासिल की, बल्कि राजनयिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर दिया।

VIKAS TRIPATHI
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