Wednesday, August 6, 2025
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रामलला के दर्शन आसान, लेकिन फाइलों के दर्शन मुश्किल: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की टिप्पणी से हड़कंप

अयोध्या – उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का अयोध्या दौरा इस बार सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि उन्होंने प्रशासनिक ढांचे पर गहरी और सधी हुई चोट की है। उनके एक व्यंग्यात्मक लेकिन सच्चाई को उजागर करने वाले बयान ने सोशल मीडिया से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक हलचल मचा दी है।

राज्यपाल ने कहा,

रामलला के दर्शन तो बहुत आसान हैं, लेकिन फाइलों के दर्शन आसान नहीं हैं।

यह बात उन्होंने अयोध्या में आयोजित CSR कॉन्क्लेव के मंच से कही, जहां वे बतौर मुख्य अतिथि शामिल थीं।


प्रशासनिक व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष

राज्यपाल ने अपने भाषण में स्पष्ट तौर पर कहा कि लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर से रामलला के दर्शन करने आते हैं, और उन्हें दर्शन सहजता से मिल जाते हैं। लेकिन सरकारी फाइलों की स्वीकृति के लिए आम नागरिकों को महीनों तक अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। उन्होंने अधिकारियों को सलाह दी कि:

“जब कोई फाइल पहली टेबल पर पहुंचे, उसी समय सारी त्रुटियाँ निकाल दी जाएं ताकि वह बार-बार इधर-उधर न घूमे।”

उनका इशारा साफ था—ब्यूरोक्रेसी की लेटलतीफी और टेबल दर टेबल घूमती फाइलों की संस्कृति अब जनता की सहनशक्ति के बाहर जा चुकी है।


सिर्फ यूपी नहीं, पूरे देश की समस्या

राज्यपाल ने यह भी जोड़ा कि यह समस्या सिर्फ उत्तर प्रदेश की नहीं, बल्कि लगभग पूरे देश में यही हाल है। सरकारी कार्यालयों में आज भी “पेपरलेस व्यवस्था” का दावा तो किया जाता है, लेकिन व्यवहार में फाइलों की चक्रव्यूह व्यवस्था नागरिकों को त्रस्त किए हुए है।


कार्यक्रम के दौरान हुए महत्वपूर्ण कार्य

इस CSR कॉन्क्लेव में राज्यपाल ने सिर्फ आलोचना ही नहीं की, बल्कि विकास कार्यों की नींव भी रखी। उनके द्वारा:

70 आंगनबाड़ी भवनों का शिलान्यास किया गया।

1000 प्री-स्कूल किट उपलब्ध कराने हेतु समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।

बाल विकास योजनाओं को जन सहयोग से मजबूत करने की अपील भी की गई।


प्रशासन में मचा हड़कंप

राज्यपाल की यह टिप्पणी कोई सामान्य आलोचना नहीं थी, बल्कि एक संकेतात्मक चेतावनी मानी जा रही है। सूत्रों की मानें तो उनके इस बयान के बाद जिलास्तर के अफसरों में खलबली मच गई है, और कई विभागों में लंबित फाइलों की त्वरित समीक्षा शुरू कर दी गई है।

यह भी माना जा रहा है कि राज्यपाल का यह बयान सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँचा है, और आगामी दिनों में ई-गवर्नेंस प्रणाली को और मजबूत करने के निर्देश जारी किए जा सकते हैं।


जनता के बीच संदेश: जवाबदेही जरूरी है

राज्यपाल के इस बयान का सीधा संदेश यह है कि सरकार का तंत्र केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि जनता की सेवा के लिए है। अगर रामलला के दर्शन में आधुनिक तकनीक और प्रबंधन से सुविधा हो सकती है, तो फाइलों के निर्णयों में पारदर्शिता और गति क्यों नहीं लाई जा सकती?


बयान जो सिर्फ आलोचना नहीं, चेतावनी भी है

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जिस सधे अंदाज़ में प्रशासन को आइना दिखाया, वह वर्तमान शासन व्यवस्था में जवाबदेही और पारदर्शिता की माँग करता है। यह बयान महज़ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक राज्य की संवैधानिक प्रमुख द्वारा प्रशासन को दिया गया सुधारात्मक सन्देश है।

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VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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