सासाराम/पटना — कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर तीखा हमला बोला और इसे “वोट चोरी का नया तरीका” करार दिया। अपनी बात उन्होंने अपने व्हाट्सएप चैनल पर एक पोस्ट के जरिए रखी और कहा कि वे एक-व्यक्ति-एक-वोट के सिद्धांत की रक्षा के लिए शपथ ले चुके हैं।
सीधे प्रमाणों का दावा — जिन लोगों के नाम कटे
राहुल ने बताया कि उन्होंने उन लोगों से मुलाकात की है जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में वोट डाला था, लेकिन बिहार में SIR के दौरान उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए। उन्होंने जिन लोगों का उदाहरण दिया, उनमें शामिल हैं:
राज मोहन सिंह (70) — किसान व सेवानिवृत्त सैनिक
उमरावती देवी (35) — दलित व मजदूर
धनंजय कुमार बिंद (30) — पिछड़ा वर्ग व मजदूर
सीता देवी (45) — महिला व पूर्व मनरेगा मजदूर
राजू देवी (55) — पिछड़ा वर्ग व मजदूर
मोहम्मदुद्दीन अंसारी (52) — अल्पसंख्यक व मजदूर
राहुल ने कहा कि ये सभी 2024 में मतदान कर चुके थे, पर SIR के बाद उनकी पहचान मतदाता सूची से गायब कर दी गई — और तस्वीरें जिनके साथ उन्होंने सदन में बैठक की, वे “जिंदा-जागते सबूत” हैं।
भाजपा-चुनाव आयोग पर सख्त आरोप
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से बहुजन और गरीब तबके के मतदाताओं को व्यवस्थित रूप से वोटर-रोल से हटाया जा रहा है। उनका कहना था कि इससे लोगों का वोट, पहचान और अधिकार — तीनों छीनने की साजिश हो रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज के कमजोर वर्ग आर्थिक और सामाजिक दबाव के कारण इस अन्याय के खिलाफ लड़ नहीं पा रहे — इसलिए कांग्रेस उनके साथ खड़ी है।
यात्रा और मौके पर राजनीति
राहुल ने अपनी मतदाता-अधिकार यात्रा (Voter Rights Yatra) की शुरूआत रविवार को सासाराम से की थी। उन्होंने देवकुंड सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना भी की; इस दौरान राजद नेता तेजस्वी यादव और विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी भी उनके साथ मौजूद थे। यात्रा सोमवार को कुटुम्बा से शुरू होकर शाम तक गया पहुंचेगी और राहुल ने बताया कि वे यात्रा में ऐसे और लोगों से मिलेंगे जिनके मतदाता-अधिकार प्रभावित हुए हैं।
कांग्रेस का संदेश — लोकतंत्र का मौलिक सिद्धांत दांव पर
राहुल ने अपने संदेश में कहा: “यह सिर्फ अधिकार का सवाल नहीं है, यह लोकतंत्र में बराबरी की भागीदारी का सवाल है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ‘एक-व्यक्ति-एक-वोट’ का सिद्धांत कमजोर हुआ तो लोकतंत्र की नींव हिल जाएगी और वे इस मुद्दे को लगातार उठाते रहेंगे।
आगे क्या होगा
राहुल गांधी की ओर से उठाए गए इन आरोपों के बाद राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग या संबंधित सरकारी तंत्र इस पर क्या स्पष्टीकरण देता है और कांग्रेस अपने दावों को चुनौती देने के लिए किन कानूनी और राजनीतिक रास्तों को अपनाती है। राहुल की मतदाता-अधिकार यात्रा जारी रहेगी और वे प्रभावित मतदाताओं से मिलने, उनके दस्तावेज़ों की जांच व शिकायतें सार्वजनिक करने का इरादा व्यक्त कर चुके हैं।