Tuesday, July 1, 2025
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पंजाब बनाम हरियाणा: पानी के बंटवारे पर टकराव तेज, पंजाब विधानसभा में पारित हुए छह सख्त प्रस्ताव

चंडीगढ़ | पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद एक बार फिर उग्र रूप ले चुका है। इसी संदर्भ में सोमवार को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें पानी के बंटवारे और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के कार्यों को लेकर छह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। इन प्रस्तावों में हरियाणा को अतिरिक्त जल देने से स्पष्ट इनकार किया गया है और केंद्र सरकार व BBMB की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

BBMB के फैसले का कड़ा विरोध

राज्य के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने विशेष सत्र में BBMB द्वारा हरियाणा को 8,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के फैसले को “एकतरफा, असंवैधानिक और पंजाब के अधिकारों पर हमला” बताया। उन्होंने कहा,

“हरियाणा को अपने हिस्से से एक बूंद भी पानी नहीं देंगे। जो 4,000 क्यूसेक पानी हम मानवीय आधार पर दे रहे हैं, वह काफी है।”

पारित हुए ये छह प्रमुख प्रस्ताव:

  1. हरियाणा को अतिरिक्त पानी नहीं मिलेगा – पंजाब अपने हिस्से से कोई और पानी नहीं छोड़ेगा।
  2. BBMB का पुनर्गठन किया जाए – यह केंद्र सरकार की कठपुतली बन चुका है और पंजाब की बात नहीं सुनी जाती।
  3. नई जल संधि की मांग – 1981 की जल संधि अब प्रासंगिक नहीं रही; सतलुज, ब्यास और रावी पूरी तरह पंजाब की नदियां हैं।
  4. BBMB नियमों की अवहेलना न करे – रात को मीटिंग बुलाना गैरकानूनी है; नियमों का पालन अनिवार्य किया जाए।
  5. BBMB को समझौते से परे फैसले का अधिकार नहीं – यदि बोर्ड जल संधि से बाहर जाकर निर्णय लेता है, तो वे असंवैधानिक माने जाएंगे।
  6. डैम सेफ्टी एक्ट 2021 को पंजाब ने ठुकराया – यह कानून केंद्र को राज्यों के बांधों पर पूरी पकड़ देता है, जिसे पंजाब अस्वीकार करता है।

सीएम भगवंत मान का दो टूक बयान

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सत्र में कहा कि “पंजाब के खेतों तक हर बूंद पानी पहुंचाने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं।” उन्होंने बताया कि

“2021 तक केवल 22% खेतों को नहरों से पानी मिलता था, लेकिन अब यह आंकड़ा 60% तक पहुंच गया है। ऐसे में हमारे पास अब किसी अन्य राज्य को देने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं बचा।”

राजनीतिक और कानूनी टकराव की आहट

इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि पंजाब-हरियाणा जल विवाद एक कानूनी और राजनीतिक लड़ाई का रूप ले चुका है। पंजाब सरकार जहां अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आक्रामक रुख अपना रही है, वहीं केंद्र और BBMB की भूमिका को भी सीधे-सीधे आलोचना के घेरे में ला रही है।

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