ज्योतिषाचार्य पं. नरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार, संतान प्राप्ति से संबंधित समस्याओं का मुख्य कारण पंचम भाव और गुरु ग्रह की स्थिति होती है। गुरु ग्रह, संतान का नैसर्गिक कारक है, जबकि पुरुष की कुंडली में शुक्र ग्रह वीर्य और पत्नी के गर्भाशय का कारक होता है। जब शुक्र ग्रह राहु, शनि के साथ हो, और पंचमेश शत्रु राशि में स्थित हो या क्रूर ग्रहों की दृष्टि पंचम भाव या पंचमेश पर हो, तो संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
शास्त्री जी ने बताया कि क्रूर ग्रहों का योग पंचम या नवम भाव में हो, या पंचम भाव पर दृष्टि पड़ रही हो, पंचमेश 6, 8, 10 में शत्रु राशि या शत्रु ग्रह के साथ स्थित हो, तो संतान प्राप्ति में समस्या हो सकती है। शुक्र ग्रह का कन्या राशि में स्थित होना और पंचम भाव में क्रूर ग्रहों का होना भी संतान बाधा का कारण बन सकता है।
महिलाओं की कुंडली में शनि और मंगल की युति द्वितीय, पंचम, सप्तम, या नवम भाव में हो, और चंद्रमा कमजोर या नीच हो, तो यह भी संतान हानि का योग बना सकता है। शनि-मंगल की युति, चंद्रमा-मंगल का पीड़ित होना, या नीच ग्रहों की स्थिति बार-बार गर्भपात का कारण बन सकते हैं।
संतान प्राप्ति की संभावना जानने के लिए, कुंडली में चल रही महादशा, अंतर्दशा, गोचर, और नक्षत्र का अध्ययन आवश्यक है। ज्योतिषाचार्य पं. नरेंद्र कृष्ण शास्त्री से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवा सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य: पं. नरेंद्र कृष्ण शास्त्री
संपर्क सूत्र: 9993652408, 7828289428
VIKAS TRIPATHI
भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए “पर्दाफास न्यूज” चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।