
देशभर में वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। एक ओर जहां सत्तारूढ़ भाजपा इस कानून को मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता लाने वाला कदम बता रही है, वहीं विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इसे वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश करार दिया है।
इस बीच तेलंगाना के भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने कानून को “लैंड जिहाद” पर रोक लगाने वाला करार देते हुए विवाद को और गर्मा दिया। रविवार को रामनवमी की शोभायात्रा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा:
“अब वे लोग वक्फ के नाम पर किसी भी जमीन पर बोर्ड लगाकर उसे अपनी बपौती नहीं बता सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वक्फ संशोधन विधेयक पास कराकर ‘लैंड जिहाद’ की कमर तोड़ दी है।”
‘वक्फ के पास 9.5 लाख एकड़ ज़मीन कहां से आई?’ – राजा सिंह का सवाल
राजा सिंह ने सवाल उठाया कि स्वतंत्रता के समय वक्फ के पास मात्र 4,000 एकड़ ज़मीन थी, लेकिन अब यह आंकड़ा 9.5 लाख एकड़ तक कैसे पहुंच गया? उन्होंने कहा कि मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि नया कानून उनकी ज़मीन नहीं छीन रहा, बल्कि कानूनी स्पष्टता ला रहा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे “सबका साथ, सबका विकास” का हवाला देते हुए यह भी आरोप लगाया कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के “सबसे बड़े दुश्मन” हैं।
“ओवैसी सुप्रीम कोर्ट चले जाएं, फर्क नहीं पड़ेगा” – राजा सिंह
विधायक टी. राजा सिंह ने कहा कि ओवैसी का सुप्रीम कोर्ट जाना राजनीतिक ड्रामा है और इसका संशोधित कानून पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने दावा किया कि ओवैसी जैसे नेता सिर्फ समुदाय को भड़काकर अपनी राजनीति चमकाते हैं।
गौरतलब है कि असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि संशोधित वक्फ कानून ने वक्फ संपत्तियों और अन्य धार्मिक समुदायों के धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्टों की कानूनी सुरक्षा छीन ली है।
राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून बना संशोधित विधेयक
शनिवार रात को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में तीखी बहसों के बीच पारित किया गया था। अब यह विधेयक कानून बन चुका है, जिस पर देश की न्यायपालिका से लेकर सड़कों तक बहस छिड़ चुकी है।
निष्कर्ष: सियासी मोर्चे पर दो ध्रुव, कानूनी जंग जारी
एक ओर सरकार इसे पारदर्शिता और नियंत्रण का उपाय बता रही है, वहीं विपक्ष धार्मिक आज़ादी और संपत्ति के अधिकार पर हमले के तौर पर देख रहा है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और उसके संभावित फैसले पर टिकी हैं।

VIKAS TRIPATHI
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