Saturday, July 5, 2025
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प्रधानमंत्री मोदी को मिला त्रिनिदाद और टोबैगो का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, विदेशी नेता को पहली बार यह पुरस्कार

न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे वैश्विक मंच पर एक ऐतिहासिक क्षण—जब त्रिनिदाद और टोबैगो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ से नवाजा। इस सम्मान को लेकर एक और खास बात यह है कि यह पहली बार किसी विदेशी नेता को प्रदान किया गया है, जिससे भारत और त्रिनिदाद के बीच गहराते संबंधों की ऐतिहासिक गवाही मिलती है।


25वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान, मोदी की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक

यह सम्मान प्रधानमंत्री मोदी को मिला 25वां अंतरराष्ट्रीय नागरिक सम्मान है। इससे पहले वे रूस, फ्रांस, सऊदी अरब, यूएई जैसे शक्तिशाली देशों के सर्वोच्च सम्मानों से भी नवाजे जा चुके हैं। यह साबित करता है कि भारत का नेतृत्व अब सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक नीति-निर्माण में एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है।


“इस सम्मान को 140 करोड़ भारतवासियों की ओर से स्वीकार करता हूं” – पीएम मोदी

सम्मान स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: “मैं इस सम्मान को भारत के 140 करोड़ नागरिकों की ओर से साझा गौरव के रूप में स्वीकार करता हूं। यह भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव, साझा विरासत और ऐतिहासिक संबंधों की ताकत को दर्शाता है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि भारत और प्रवासी भारतीयों की वर्षों की मेहनत, मूल्यों और सभ्यता का सम्मान है।


“खाली हाथ आए थे, लेकिन समृद्ध आत्मा लेकर” – भारतीय प्रवासियों को दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने त्रिनिदाद में बसे भारतीय समुदाय का आभार जताते हुए कहा: “180 साल पहले भारत से जो लोग यहां आए थे, उनके पास भले ही संसाधन न हों, लेकिन उनकी आत्मा भारतीय संस्कृति से परिपूर्ण थी। उन्होंने मित्रता, सौहार्द्र और समावेश का जो बीज बोया था, वह आज सशक्त वृक्ष बन चुका है।”

यह बयान न केवल भारत की सांस्कृतिक विदेश नीति को मज़बूती देता है, बल्कि प्रवासी भारतीयों की भूमिका को भी गौरवशाली रूप से रेखांकित करता है।

पीएम मोदी ने राष्ट्रपति कंगालू की जड़ों को बताया भारतीय, संत तिरुवल्लुवर का दिया संदर्भ

प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू को विशेष तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि उनके पूर्वज तमिलनाडु की पवित्र भूमि से थे, जहां संत तिरुवल्लुवर ने ऐसे छः स्तंभों की कल्पना की थी, जो किसी राष्ट्र को शक्तिशाली बनाते हैं:
वीर सेना, देशभक्त नागरिक, संसाधन, सशक्त प्रतिनिधि, मज़बूत रक्षा तंत्र और विश्वसनीय मित्र राष्ट्र। “भारत और त्रिनिदाद का संबंध इन्हीं छह स्तंभों की कसौटी पर खरा उतरता है,” प्रधानमंत्री ने कहा।


यह सिर्फ सम्मान नहीं, भारत की सांस्कृतिक शक्ति का अंतरराष्ट्रीय स्वीकार है

यह सम्मान न सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक दक्षता की जीत है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि भारत अब केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक सांस्कृतिक, रणनीतिक और नैतिक महाशक्ति के रूप में स्वीकार किया जा रहा है।

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