नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देशवासियों से राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक विशेष अपील की। उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम् भारत की आत्मा की जीवंत अभिव्यक्ति है, जो हमारी सांस्कृतिक गौरव, मातृभूमि के प्रति समर्पण और एकता के अद्भुत संदेश को दर्शाता है।”
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे इस गीत के मूल्यों और प्रेरणाओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ, ताकि इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि देशभर में वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
“वंदे मातरम्”: भारत की आत्मा का स्वर
‘वंदे मातरम्’ को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में लिखा था और यह उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ (1882) में प्रकाशित हुआ। इस गीत को पहली बार रबींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया था।24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया। संस्कृत और बंगला मिश्रित इस गीत में भारत माता को देवी के रूप में चित्रित किया गया है, जिसकी वंदना पूरे देश की भावनाओं को एक सूत्र में पिरोती है।
स्वदेशी कुत्तों की वीरता को नमन
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने BSF और CRPF जैसी अर्धसैनिक बलों द्वारा भारतीय नस्ल के कुत्तों को अपनाने की सराहना की। उन्होंने कहा कि “हमारे स्वदेशी कुत्तों ने साहस और निष्ठा की मिसाल कायम की है।”
उन्होंने उदाहरण दिया कि छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित क्षेत्र में गश्त के दौरान एक स्वदेशी कुत्ते ने 8 किलोग्राम विस्फोटक का पता लगाकर बड़ा हादसा टाल दिया था।
पीएम मोदी ने गर्व के साथ बताया कि मुधोल हाउंड जैसी भारतीय नस्लें अब विदेशी नस्लों को पीछे छोड़ते हुए विभिन्न प्रतियोगिताओं में सराहना बटोर रही हैं। उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर एकता नगर, गुजरात में आयोजित परेड में कुछ चयनित भारतीय नस्ल के कुत्ते भी भाग लेंगे।
Glad to see our security forces increase the number of indigenous breed dogs in their contingents. #MannKiBaat pic.twitter.com/lrSObGSzLg
— PMO India (@PMOIndia) October 26, 2025
जन पहल और नवाचार की मिसालें
30 मिनट के अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने देश के कोने-कोने से उभर रही प्रेरक पहलों का उल्लेख किया।उन्होंने गुजरात में मैंग्रोव वनों के पुनरुद्धार, छत्तीसगढ़ के “कचरा कैफे”, और बेंगलुरु की झीलों के पुनरुद्धार जैसे अनूठे कार्यों की सराहना की, जो समाज में पर्यावरण संरक्षण की भावना को सशक्त कर रहे हैं।
संस्कृति, कॉफी और संस्कृत का संगम
प्रधानमंत्री ने ओडिशा के कोरापुट जिले में हो रही कॉफी की खेती की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है और अब भारतीय कॉफी की पहचान वैश्विक स्तर पर बन रही है।उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि “आज की सोशल मीडिया पीढ़ी संस्कृत भाषा को नए जीवन के साथ पुनर्जीवित कर रही है।” उन्होंने युवा कंटेंट क्रिएटर और क्रिकेटर यश सालुंके का उदाहरण देते हुए कहा कि “संस्कृत में क्रिकेट पर बात करने की उनकी रील ने युवाओं में नई रुचि जगाई है।”
समापन में प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्वर है। आइए, इसे हम सब मिलकर आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ और इस गौरवशाली 150वीं वर्षगांठ को राष्ट्रीय उत्सव में बदल दें।”














