
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने हिंदी को अनिवार्य बनाने के विरोध में अपने पूर्व रुख को लेकर हो रही आलोचनाओं पर करारा जवाब दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका विरोध हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं, बल्कि इसे अनिवार्य बनाने के निर्णय के खिलाफ है। साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का समर्थन करते हुए कहा कि यह बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देता है और किसी भी भाषा को थोपने की अनुमति नहीं देता।
हिंदी का विरोध नहीं, बल्कि जबरन थोपने का विरोध – पवन कल्याण
शनिवार को आयोजित जन सेना पार्टी की 12वीं स्थापना बैठक में पवन कल्याण ने हिंदी भाषा के मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा,
“जो लोग हिंदी का विरोध कर रहे हैं, वे अपनी फिल्मों को हिंदी में डब क्यों कर रहे हैं?”
यह टिप्पणी तमिलनाडु सरकार और अन्य विरोधी दलों पर सीधा निशाना थी, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले का विरोध कर रहे हैं।
पवन कल्याण ने आगे कहा कि उनकी आलोचना करने वाले लोगों को पहले NEP 2020 को सही तरीके से पढ़ना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा –
“किसी भाषा को जबरन थोपना या किसी भाषा का आंख मूंदकर विरोध करना, दोनों ही हमारे भारत के राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकीकरण के उद्देश्य को कमजोर करते हैं।”
NEP 2020 को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम
पवन कल्याण ने कहा कि NEP 2020 छात्रों को अपनी मातृभाषा सहित दो भारतीय भाषाओं और एक विदेशी भाषा सीखने का विकल्प देता है। यदि कोई हिंदी नहीं पढ़ना चाहता, तो वह तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, कश्मीरी, ओड़िया, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बोडो, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मैतेई, नेपाली, संथाली या उर्दू जैसी अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प चुन सकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि तीन-भाषा नीति छात्रों को चयन की स्वतंत्रता देती है, राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करती है।
राजनीतिक फायदे के लिए मेरे रुख को गलत बताया जा रहा – पवन कल्याण
पवन कल्याण ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल NEP 2020 की गलत व्याख्या कर रहे हैं और यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अपना रुख बदल लिया है। उन्होंने कहा,
“जन सेना पार्टी हर भारतीय को भाषाई स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प देने के सिद्धांत पर अडिग है।”
क्या है पूरा विवाद?
तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तीन-भाषा नीति का विरोध कर रही है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है। इस विवाद में पवन कल्याण ने NEP 2020 का समर्थन किया, जिसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
लेकिन अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनका रुख हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं, बल्कि इसे अनिवार्य बनाने के फैसले के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हर भारतीय को अपनी मातृभाषा चुनने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए और कोई भी भाषा किसी पर थोपी नहीं जानी चाहिए।

VIKAS TRIPATHI
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