एनडीए ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का फॉर्मूला अंतिम कर लिया है — इस हिस्से के अनुसार भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें, और राष्ट्रীয় लोक मोर्चा (RLM) व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) को 6-6 सीटें आवंटित हुई हैं।
इस सीट बंटवारे की घोषणा होते ही पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पर तीखा रुख अपनाया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि “संजय झा ने अपना मिशन पूरा कर लिया” — उनका आरोप है कि Nitish Kumar को मुख्यमंत्री पद से हटाने का षड्यंत्र अब पूरा हो गया है। पप्पू यादव ने इस फ़ैसले को भाजपा का एक चाल बताते हुए गठबंधन समीकरणों पर भी सवाल उठाए।
पप्पू यादव ने क्या कहा — कुछ प्रमुख अंश
पप्पू यादव का कहना है कि भाजपा ने खुद को 101 सीटें और इसके अतिरिक्त “H टीम” यानी मोदी के समर्थकों के लिए 29 सीटें सुरक्षित रखी हैं — इस तरह उनकी गणना के मुताबिक भाजपा सहित NDA कुल मिलाकर 142 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
उन्होंने पिछड़ा और दलित समाज से सर्तक रहने का आह्वान किया और कहा कि यह फ़ैसला प्रदेश की राजनीति के लिए निर्णायक परिणाम ला सकता है।
(नोट — पप्पू यादव के ऊपर उद्धरण उनकी सोशल-मीडिया पोस्ट/बयानों पर आधारित हैं; अलग-अलग मीडिया रिपोर्टों में उनके शब्दों का संक्षेप उपलब्ध है।)
एनडीए पार्टियों की आधिकारिक घोषणा और प्रतिक्रियाएँ
एनडीए की आधिकारिक रेखा के मुताबिक भाजपा और जेडीयू ने बराबर-बराबर सीटें ली हैं — यह फॉर्मूला गठबंधन में संतुलन बनाए रखने का प्रयास बताया जा रहा है। केंद्रीय नेतृत्व ने कहा कि सीट बंटवारा आपसी सहमति और “सौहार्दपूर्ण माहौल” में तय हुआ।
सीट-वितरण के बाद छोटे सहयोगियों ने भी प्रारम्भिक प्रतिक्रियाएँ दीं — चिराग पासवान की LJP (R) ने बंटवारे को स्वीकार्य बताया, जबकि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं के बीच कुछ असंतोष की खबरें भी सामने आईं — उन्हें मिली संख्या को लेकर अंदरूनी चर्चा जारी है।
जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं ने इसे विजय अभियान की शुरुआत बताया और कहा कि अब सभी मिलकर चुनावी लड़ाई जीतने के लिए काम करेंगे।
किस पार्टी को कितनी सीटें मिलीं — संक्षेप
BJP: 101
JDU: 101
LJP (Ram Vilas): 29
RLM (Upendra Kushwaha): 6
HAM (Jitan Ram Manjhi): 6
(कुल विधानसभा: 243)
क्या बदलेगा बिहार का चुनावी परिदृश्य?
विश्लेषक मानते हैं कि बराबर-बराबर सीटों के बावजूद असल प्रभाव इस बात से तय होगा कि कौन-कौन सी सीटें किस दल को दी गई हैं — यानी ब्रेकेट-वाइज और क्षेत्रीय समीकरण निर्णायक होंगे। साथ ही, पप्पू यादव जैसे स्वतंत्र व उभरते चेहरे की तीखी टिप्पणियाँ राजनीतिक चर्चा को तेज करेंगी और विपक्ष के मोर्चे पर भी हलचल ला सकती हैं।