हैदराबाद : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के युवा प्रत्याशी नवीन यादव को खुलकर समर्थन कर रही है, जबकि बिहार में AIMIM अलग राह अपनाकर अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। जुबली हिल्स की वोटिंग 11 नवंबर को कराई जाएगी और परिणाम 14 नवंबर को आएंगे।
ओवैसी ने कहा कि जुबली हिल्स का मामला अलग है — यह ऐसी एकल सीट है जिसका न तो सत्ता पर असर होगा और न ही सरकार बदलेगी — इसलिए विकास के मुद्दे को प्रधानता देकर स्थानीय मतदाताओं से कांग्रेस के नवीन यादव को मौका देने की अपील की जा रही है। AIMIM ने यहां अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है और पार्टी ने वोटरों से यादव को वोट देने का अनुरोध किया है।
ओवैसी ने बिहार की रणनीति की भी वजह बताई: AIMIM ने कई बड़े विपक्षी नेताओं और दलों को गठबंधन के लिए पत्र भेजे — जिनमें लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे, CPI(ML) और CPI समेत कई नाम शामिल हैं — मगर सकारात्मक जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि AIMIM ने महागठबंधन में छह सीटों की मांग तक रखी थी, पर जवाब न मिलने पर पार्टी ने अलग मोर्चे का विकल्प चुना और चंद्रशेखर आजाद तथा स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ गठबंधन भी बनाया।
AIMIM की यह नीति — कुछ जगह कांग्रेस को समर्थन और अन्य जगह स्वयं संघर्ष — पार्टी की रणनीतिक समझ को दर्शाती है: जहां स्थानीय मुद्दों के आधार पर विकासवादी विकल्प बन सकता है, वहां बारिको समर्थन; वहीं जहाँ सीटों और गठबंधन पर सौदे नहीं बन रहे, वहां खुद मैदान में उतरना। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने गठबंधन के लिए कई पत्र भेजे, किसी ने नहीं माना, इसलिए चुनाव लड़ना ही एक विकल्प बचा।
#WATCH | Hyderabad, Telangana: On Chandrashekhar Azad, Swami Prasad Maurya, AIMIM chief Asaduddin Owaisi says, "Akhtarul Iman and AIMIM wrote letters to Lalu Yadav, Mallikarjun Kharge, CPI (ML) leaders, CPI leaders to have an alliance with our party. Another letter was written to… pic.twitter.com/U6Gib0Xw4g
— ANI (@ANI) October 21, 2025
जुबली हिल्स वास्तव में हैदराबाद, तेलंगाना का हिस्सा है — यह कोई तमिलनाडु सीट नहीं है — और यहां कांग्रेस, BRS और BJP के बीच तीव्र मुकाबला चल रहा है। AIMIM के समर्थन से कांग्रेस को अल्पसंख्यक और विकास-केंद्रित वोटों में मजबूती मिल सकती है, जबकि बिहार में AIMIM की अलग राजनीति विपक्षी बहुल गठबंधन का हिस्सा बनने के बजाय तृतीय मोर्चे की पहल जैसा दिख रही है।
ओवैसी ने साफ किया है कि AIMIM अपने राजनीतिक हितों और क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार फैसले ले रही है — कभी सहयोग, कभी अकेला — और जुबली हिल्स में उनका प्रवचन विकास पर केन्द्रित रहा, वहीं बिहार में सीटों और गठबंधन-ताकत की वजह से अलग रणनीति अपना ली गई है।














