ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष के मद्देनजर भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तेजी से कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंधु शुरू किया है। इस अभियान के तहत अब तक 827 भारतीय नागरिकों को विशेष चार्टर्ड उड़ानों के जरिए सुरक्षित रूप से ईरान से स्वदेश लाया गया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने शनिवार को इस मिशन के अपडेट साझा करते हुए बताया कि इनमें भारतीय छात्र, धार्मिक यात्री और अन्य नागरिक शामिल हैं।
तीन विशेष उड़ानों से लौटे भारतीय नागरिक
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी दी कि शुक्रवार देर रात एक चार्टर्ड फ्लाइट से 290 भारतीय नागरिक नई दिल्ली पहुंचे। इसके बाद शनिवार तड़के 3 बजे अश्गाबात, तुर्कमेनिस्तान से एक अन्य विशेष उड़ान 227 भारतीयों को लेकर दिल्ली एयरपोर्ट उतरी। वहीं, शनिवार शाम 4:30 बजे ईरान के मशहद से रवाना हुई एक अन्य फ्लाइट 310 नागरिकों को लेकर भारत पहुंची।
विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने दिल्ली एयरपोर्ट पर लौटे नागरिकों का स्वागत किया। इस दौरान कई यात्रियों ने विदेश मंत्रालय और भारत सरकार के प्रयासों के लिए धन्यवाद किया।
नेपाल और श्रीलंका ने भी मांगी मदद
ईरान में बिगड़ते हालात को देखते हुए नेपाल और श्रीलंका ने भी भारत से सहायता की गुहार लगाई है ताकि उनके नागरिकों को ईरान से सुरक्षित निकाला जा सके। भारतीय दूतावास ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, जिससे जल्द ही दोनों देशों के नागरिकों की वापसी मुमकिन हो सकेगी।
ईरान सरकार से मिली मदद
विदेश मंत्रालय ने इस पूरे अभियान में ईरान सरकार के सहयोग के लिए धन्यवाद व्यक्त किया है। जायसवाल ने कहा कि भारत इस ऑपरेशन में सहयोग देने के लिए ईरानी प्रशासन का आभारी है।
ऑपरेशन सिंधु क्या है?
ईरान-इजरायल संघर्ष के मद्देनजर भारत सरकार ने 19 जून 2025 को ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत की थी, ताकि ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लौटाया जा सके। इस संघर्ष में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे थे, जिससे भारतीयों के लिए वहाँ रहना असुरक्षित हो गया था।
‘मौत के साए में थे हम’
वापस लौटे नागरिकों ने अपने डरावने अनुभव साझा किए। कुछ छात्रों ने बताया कि रोजाना मिसाइल धमाकों से पूरा इलाका गूंजता था, जिससे वे घर से बाहर नहीं निकल सकते थे। बमबारी के चलते बाजार बंद हो चुके थे और खाने-पीने की चीजें मिलना मुश्किल हो गया था। कुछ अन्य यात्रियों ने कहा कि जब उन्हें लगा कि उनकी वापसी असंभव है, तभी भारत सरकार ने उन्हें निकालने की योजना बनाई, जिससे उनमें एक नई उम्मीद जगी।