Friday, November 14, 2025
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नोएडा प्राधिकरण व गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय मिलकर बनाएंगे दो अत्याधुनिक “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस”—सेमीकंडक्टर और ड्रग-डिस्कवरी में होगा केन्द्रित शोध

नोएडा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) को उच्चस्तरीय अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हुई — गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (GBU) और न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा प्राधिकरण) ने सिद्धांततः दो अत्याधुनिक “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की है। यह साझेदारी क्षेत्र में शोध-क्षमता बढ़ाने, उच्च-कौशल नौकरियाँ सृजित करने और इनोवेशन-आधारित स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से की जा रही है।

प्रमुख बिंदु

सेंटर फॉर सेमिकॉन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी (CSRT) — सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स तकनीक के क्षेत्र में उन्नत शोध, प्रोटोटाइपिंग और उद्योग-समन्वित विकास पर केंद्रित होगा। लक्ष्य: देश में चिप निर्माण एवं इलेक्ट्रॉनिक्स स्वावलंबन को प्रोत्साहित करना।

सेंटर फॉर ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट — बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विशेष रूप से कैंसर उपचार और नई दवाओं के अन्वेषण पर ध्यान देगा; इससे दवा विकास की गति तेज होगी और चिकित्सा अनुसंधान को बल मिलेगा।

दोनों संस्थान फंडिंग मॉडल, रिवेन्यू-शेयर्स और हितधारकों के सुझावों पर आगे विस्तृत चर्चा कर रणनीति तय करेंगे।

पहल से नोएडा और पूरे उत्तर भारत में उच्च गुणवत्ता वाले R&D संसाधन, स्किल्ड रोजगार और स्टार्टअप-इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी।

बैठक और प्रतिनिधिमंडल

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की ओर से उपस्थित प्रमुख सदस्य: डॉ. विश्वस त्रिपाठी (रजिस्ट्रार), प्रो. राजीव वर्श्नेय (डीन, अकादमिक्स), डॉ. एस. धनलक्ष्मी (डीन, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी), डॉ. रेखा पुरिया (प्रमुख, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी), डॉ. विदूषी शर्मा (प्रमुख, स्कूल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन) और डॉ. मंगल दास (स्कूल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन)। नोएडा प्राधिकरण की ओर से मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. लोकेश एम ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने संयोजित रूप से परियोजना की तकनीकी, वित्तीय और संचालन-रूपरेखा पर आगे की वार्ता करने का निर्णय लिया।

आगे की कार्ययोजना

दोनों संस्थानों ने कहा है कि वे तकनीकी आवश्यकताओं, शोध-सुविधाओं (लैब, फेब-लैब, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग आदि), उद्योग-साझेदारी, तथा संभावित सरकारी और निजी फंडिंग स्रोतों की पहचान कर अगले चरण में विस्तृत कार्ययोजना और समय-रेखा प्रस्तुत करेंगे। साथ ही, शिक्षण-अकादमिक पाठ्यक्रमों को उद्योग-उन्मुख बनाने तथा छात्रों/युव उद्यमियों के लिए इंटर्नशिप और इनक्यूबेशन अवसर सुनिश्चित करने पर भी चर्चा होगी।

परिणामी प्रभाव

यह पहल न केवल क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और शोध-ढांचे को सुदृढ़ करेगी बल्कि भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) और बायो-फार्मा नवाचार लक्ष्यों में भी योगदान देगी। स्थानीय प्रतिभा को विश्वस्तरीय संसाधन और उद्योग-समन्वय मिलेगा, जिससे रिसर्च-आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलने की संभावना बढ़ेगी।

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VIKAS TRIPATHI
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